जहां कभी डर था, वहां अब सेल्फी है; पहलगाम-श्रीनगर में देर रात तक रौशनी
श्रीनगर का दिल लाल चौक, युद्ध के दौरान सबसे ज्यादा खामोश था। दिन ढलते ही अंधेरे और आशंका दोनों उतर आते थे। शाम 7 बजे जो जगह सुनसान हो जाती थी, वो अब रात 11 बजे तक रौशन है।
लाल चौक पर रात 11 बजे भी कैमरे के फ्लैश चमक रहे हैं। पांच हफ्ते पहले यहां खामोशी की चादर ने सन्नाटा ओढ़ लिया था। पहलगाम, जहां अप्रैल की गोलीबारी के बाद जिंदगी थम सी गई थी, अब फिर से पर्यटकों की आवाजाही से सब कुछ पटरी पर लौटता दिख रहा है। पहलगाम से लेकर गुलमर्ग तक, श्रीनगर से लेकर सोनमर्ग तक पर्यटक लौट रहे हैं और उनके साथ लौट रहा है घाटी का खोया हुआ आत्मविश्वास। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने कश्मीर की रगों में दौड़ते पर्यटन को पलभर में जकड़ लिया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बढ़ी, बाद में घाटी धीरे—धीरे डर के साए से निकलने लगी। सीजफायर के 51 दिन बाद कश्मीर में फिर से रौनक लौटने लगी है। रेस्ट...