
28 फरवरी 2025 की सुबह-सुबह, जब दुनिया नींद में डूबी थी, धरती ने अपनी बेचैनी का इजहार किया और चार देशों—भारत, नेपाल, तिब्बत और पाकिस्तान—को हिलाकर रख दिया। महज तीन घंटे के अंतराल में, विशाल हिमालय और उसके आसपास के इलाकों में धरती कई बार कांपी, जिसने लाखों लोगों को नींद से झकझोर दिया और प्रकृति की अप्रत्याशित शक्ति की याद दिला दी।
बिहार के दिल में बसा पटना सुबह 2:35 बजे अचानक जाग उठा। रात का सबसे शांत पहर अभी बीता ही था कि 5.5 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला एक जोरदार भूकंप आया। धरती के नीचे से एक गहरी गड़गड़ाहट उठी, जो कंक्रीट की दीवारों और लकड़ी के ढांचों तक पहुंची। सोते हुए लोग हड़बड़ा गए, तेज झटकों ने उन्हें बिस्तर से बाहर खींच लिया। लोग कंबल और अपनों को थामे घरों से बाहर भागे, सड़कों पर चिंता की फुसफुसाहट गूंजने लगी। भूकंप थमा तो एक अजीब-सी शांति छा गई।
तिब्बत के ऊंचे पठार पर भी धरती की हलचल जारी रही। सुबह 2:48 बजे, 4.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र धरती की सतह से 70 किलोमीटर नीचे था। यह झटका अपने पड़ोसियों जितना तेज नहीं था, लेकिन इसके हल्के कंपन विशाल, हवा से भरे मैदान में फैल गए। भारत और नेपाल की सीमाओं से सटे इलाकों में भी इस गहरे भूकंप की गूंज महसूस हुई। तिब्बत की कम आबादी और मजबूत जमीन ने इस झटके को सह लिया, और एक बार फिर रात बिना किसी नुकसान के गुजर गई।