भारत को फिर जगद्गुरू बनाना है
संस्कार हमारे जीवन के श्वास है उनके बगैर हम आदर्श जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। उसी प्रकार नागरिकता के बिना आदर्श राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है। नागरिकता केवल एक शब्द नहीं बल्कि गुण है का रोपण करन ेकी प्रक्रिया है संस्कार। संस्कारवान आदर्श नागरिकों की बहुलता शक्त राष्ट्र का निर्माण करती है। हमारा संविधान उन गुणों से युक्त है, जिनसे एक आदर्श, बलशाली एवं प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण संभव है। आवश्यकता यह कि हम जनसंख्या को नागरिक में परिवर्तित करने के लिए क्या कर सकते हैं? आवश्यकता यह भी है कि संविधान के ज्ञान को आज की युवा पीढ़ी तक पहुंचाकर एक गुणात्मक प्रक्रिया प्रारंभ करें। हमें यह सोचना होगा कि वर्तमान में जहां हर मानव भयभीत हो संकीर्ण विचारधारा में भी जी रहा हो, तब सरकार व्यवस्था का रूप शांतिमय होना चाहिए, क्योंकि जब तक प्रजा भयमुक्त नहीं होगी, तब तक शांति स्थापित नहीं होगी जब तक शांति स...