Sunday, October 19

संपादकीय

ओबैसी की रैली में लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे
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ओबैसी की रैली में लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे

ओबैसी बंधु बिगत कई वर्षो से देश में जहर घोलने का काम कर रहे हैं, और निरंतर मुस्लिम समाज को भ्रमित करते चले आ रहे हैं | उनका ये कृत्य बदस्तूर जारी हैं | उनके निरंतर भारत विरोधी बयानों के चलते देश में एक भय का महल निर्मित हो रहा हैं | जिस तरह की वह भाषा का इस्तेमाल करते हैं उससे कही न कही आम भारतीय को ठेस पहुँचती हैं | इतना ही नहीं उनके भाषणों में भारत के प्रति और भारत की संस्कृति द्वेष साफ़ देखा जा सकता हैं | कहने को वह संसद में संबिधान की कसम खाते हो पर उनकी भाषा और व्यवहार राष्ट्र हित में नहीं दिखाई देता | वह सिर्फ धार्मिक राजनीति क चारे वन कर रह गए हैं | इस धार्मिक कट्टरता के चलते एक और कुछ कट्टर मुसलमान उनकी बातो से सहमत होते हैं तो कई उनके विरोध में भी | उनके भाषणों का असर देखिये की एक नावालिग लड़की जिसको न तो सही से धर्म का पता होगा ओर न कानून का सही से पता होगा | आखिर वह जोश में इत...
क्या राजनीति के मार्ग को राज्यसभा के माध्यम से तय करेंगी प्रियंका |
संपादकीय

क्या राजनीति के मार्ग को राज्यसभा के माध्यम से तय करेंगी प्रियंका |

आजादी के बाद से भारत की सत्ता का देन्द्र रही कांग्रेस पार्टी जिसका रिमोट गाँधी परिवार के हाथ में रहा और वही गाँधी परिवार आज सत्ता में प्रवेश करने के लिए पिछले दरवाजे से एंट्री मारने की जुगाड़ में हैं जिस तरह की खबरे पार्टी स्तर पर आ रही हैं उनके अनुसार प्रियंका गाँधी सक्रिय राजनीति में राज्यसभा के माध्यम से प्रवेश करने की जुगाड़ लगा रही हैं | पार्टी खबरों के अनुसार छत्तीसग़ढ या मध्यप्रदेश में से खाली होने वाली राज्यसभा में कांग्रेस के उमीदवार के रूप में जा सकती हैं | आजादी के बाद शायद ये पहला अवसर होगा जब गाँधी परिवार सीधा चुनाव न लड़ते हुए राज्यसभा राजनीति में एंट्री करेगा | यह सही हैं की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी की राजनीति गांधी परिवार के इर्दगिर्द ही घूमती रही हैं | नेहरू से इंद्रा गाँधी , इंद्रा गाँधी से राजीव गाँधी , राजीव गाँधी से सोनिया गाँधी, सोनिया गाँधी से राहुल गाँधी , राह...
आखिर छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल करना चाहती हैं सरकार
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आखिर छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल करना चाहती हैं सरकार

जिस तरह से कुछ समाचार पत्र छात्र संघ चुनावकराय जाने के लिए तरह-तरह के तर्क दे रही हैं और सरकार को चुनाव करने के लिए मजबूर सा कर रहे हैं |ऐसे में उन समाचार पर्त्रो पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं की आखिर वो छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल करना चाहते हैं ोे सरकार को भी इस छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल होने वाला हैं समाचार पत्रों के बुद्दिजीवी पत्रकार भले ही तरह -तरह के तर्क देकर छात्र संघ चुनाव पैरवी कर रहे हो पर उन्हें छात्र संघ चुनाव के दौरान पुराने अनुभवों पर भी ध्यान देना चाइये आज महाविद्यालय सिख्सा के मंदिर वने हुए हैं छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया से वही महाविद्यालय राजनीति का अखाडा बनते नजर आरहे हैं और ऐसे में अपराध की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता ऐसा लग रहा हैं कुछ संचार पात्र किसी एजेंडे के छात्र संघ चुनाव की बकालत कर रहे हैं या यह कहे की राजनितिक पार्टियों के लिए छात्रसंघ चुनाव...
महाविद्यालय के सीधे चुनाव से कही अपराध का जन्म तो नहीं होगा
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महाविद्यालय के सीधे चुनाव से कही अपराध का जन्म तो नहीं होगा

महाविद्यालय चुनाव प्रक्रिया को लेकर छात्र संगठन कई दिनों से सीधी प्रक्रिया अपनाये जाने की मांग कर रहे थे पर कोई भी सरकार इस प्रक्रिया का पालन करने से बचती नजर आरही थी | सीधे चुनाव प्रक्रिया के समय का महाविधालय के चुनाव परिणामो की बातकी जाए तो एक और जहा कई छात्र नेता निकलकर मुख्य राजनीति का हिस्सा बने तो कही छात्र नेताओ ने अपने बलिदान भी दिए मार-धाड़,लड़ाई - झगडे जैसे अपराध महाविद्यालयों का हिस्सा हुआ करंट थे इसी अपराध को ख़तम करने के लिए तत्कालीन सरकार ने सीधी चुनाव प्रक्रिया बंद करने मेरिट लिस्ट पर चुनाव प्रक्रिया शुरू की इसके बाद से महाविद्यालय में शिक्षा के स्तर मे भी सुधार आया और आपराधिक गतिविधिया भी महाविद्यालय में खत्म हुयी | अब एक बार फिर छात्र राजनीति को बढ़ावा देने के लिए महाविद्यालय चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा रही हैं | तो ऐसे में कई शकाओं का जन्म होना स्वभाभिक हैं | क्या इस बात...
कही जोखिम तो नहीं हैं सोशल मिडिया को आधार से लिंक करना
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कही जोखिम तो नहीं हैं सोशल मिडिया को आधार से लिंक करना

आधार लिंक को लेकर एक बार फिर नई बहस शुरू हो गयी हैं, आधार से निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मौके पर आदेश व्यक्त किया जा चूका हैं और और समय-समय पर आधार के डाटा को लेकर भी कई तरह की बाते सामने आ रही हैं | जिसमे कम्पनियो द्वारा आधार का डाटा चुरा लेने की भी बाते सामने आ रही हैं , ऐसे में एक बार फिर आधार सुर्खियों में हैं प्राप्त जानकारी के अनुसार माननीय न्यायालय में आधार को लेकर इस बात पर विचार किया जाना हैं कीजब सोशल साइट से लोगो की निजता कम्पनियो के पास अपने आप हैं ऐसे में आधार को लेकर बेकार का संशय बना हुआ हैं | आधार को लिंक करने में कोई परेशानी नहीं हैं, जबकि कुछ लोगो का यह मानना हैं कि आधार से बैंक अकाउंट जुड़े हुए हैं और अन्य जगह भी आधार लिंक हैं ऐसे में आधार को लिंक करना खतरनाक हो सकता हैं इससे व्यक्ति की गोपनीय जानकारी कम्पनियो के पास पहुंच सकती हैं जिससे नुकसान हो सकता हैं ...
विश्व कूटनीति में भारत की विजय
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विश्व कूटनीति में भारत की विजय

जब से मोदी सरकार आई हैं उसका सबसे पहला प्रयास अपने पड़ोस सहित पूरे विश्व समुदाय में भार की छवि को उज्जवल बनाना दुनिया में रहने वाले भारतीयों के मन में देश के प्रति विश्वास जगाना इसी के चलते मोदी सरकार अपने शपथ ग्रहण समारोह में अपने पडोसी मुल्को को आमंत्रित कर एक कदम बढ़ाया था| और इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के कई देशो में अपनी कूटनीतिक यात्राये की भले ही उन यात्राओं की बिपक्ष ने आलोचना की पर दुनिया में पीएम मोदी ने देश के मिशन को रखा और दुनिया को बताने का प्रयास किया की आखिर भारत क्या हैं परिणाम स्वरुप दुनिया में रहने वाले भारतीयो के अंदर एक आत्मविश्वास का बोध हुआ | साथ ही उनके अंदर राष्ट्रीयता की भावना भी जाग्रत हुयी हैं , किसी भी राष्ट्र का गौरव वहां के प्रधानमंत्री के व्यवहार ो नीतियों पर निर्भर करता हैं जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी विश्वसमुदाय के सामने अपनी बात रखते हैं...
क्या विपक्ष का व्यवहार सही कहा जा सकता हैं
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क्या विपक्ष का व्यवहार सही कहा जा सकता हैं

कश्मीर से धारा 370 हटने के साथ ही पूरे देश में हर्ष का माहौल हैं | पर देश का विपक्ष राष्ट्रहित में लिए गए निर्णय को पचा नहीं पा रहा हैं| उसकी आये दिन की बयानबजी से देश दुश्मनो को बल मिल रहा हैं | वही कश्मीर में शान्ति प्रक्रिया में भी रुकावट खड़ी हो रही हैं | यह तो समझा जा सकता हैं की जब भी कोई बड़े निर्णय लिए जाते हैं तो उसमे कठोर कदम उठाये जाते हैं | जिसमे आर्थिक और सामाजिक नुकसान न हो और किसी भी प्रकार की जनहानि की भी संभाबना न रहे और यह बात विपक्ष के लोग भी जानते क्योँकि सत्ता की मलाई खूब रचे-पचे हैं पर दुख इस बात का हैं जहां भारत अखंड भारत बनने की और कदम बड़ा रहा हैं | वही बिपक्ष का इस तरह टांग खींचना दुखद एबं निंदनीय हैं | आज के बिपक्ष की सबसे बड़ी भूल यह हैं की वह देश के आम जन मानस का मन नहीं पड़ पा रहे हैं | सिर्फ अपने निजी स्वार्थ जी उन्हें दिखाई दे रहे हैं या उनको क...
भ्रष्टाचारियो पर नकेल कसता देश
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भ्रष्टाचारियो पर नकेल कसता देश

आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार की एक ऐसी दिवार कड़ी हो गयी हैं जिसको ढहाना आसान नहीं हैं| सत्ता में बैठे लोग हो या प्रशासन में बैठे लोग या आम जन मांस सभी इस बिमारी का कारण हैं ऐसा मन जाता हैं की राजनेता एक हजार रूपए का घोटाला करता हैं तो इसकी आड़ में अधिकारी सौ रुपय का और जानता दो रूपए का जिस दिन जिस दिन आम जनता नियम अनुसार अपना काम करने लगेगी तो कोई भी घोटाला नहीं कर पायेगा | भारत की रगो में भ्रष्टाचार का ऐसा अंकुर पैदा हुआ हैं | तो इन सत्तर बर्षो में पल्लवित हुआ हैं अब जब कार्यवाही का दौर शरू हुआ हैं तो एक नई आशा की किरण जाग्रत हुयी हैं | जिस तरह से भारत की ऐजेन्सिया निरंतर भ्रष्टाचारियो पर कार्यवाही कर रही हैं उससे भ्रष्टाचारियो में भय व्याप्त हो गया हैं और उस भय के चलते वह देश में हालत खराब होने का राग भी अलाप रहे हैं पर देश में मानस को एक आशा की किरण जागने लगी हैं कि कोई कितना भी बड़ा...
समय ही बलवान
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समय ही बलवान

यह कहावत चरितार्थ होती देखी जा रही हैं | हम सब समय के आगे बोने हैं आज आज के परिपेक्ष में बात करे तो जिन पी.चिदंबरम के आगे देश की प्रमुख एजेन्सिया आगे -पीछे हुआ करती थी. आज वही एजेन्सिया पी.चिदंबरम के पीछे पड़ी हुयी हैं और पी.चिदंबरम भागते दिखाई दे रहे हैं यहाँ बड़ा प्रश्न यह हैं की जिन लोगो पर समाज में आदर्श स्थापित करने की जिम्मेदारी गेन | आज वही लोग उन आदर्शो को धता बता कर चुनौती दे रहे हैं ऐसे में एक आदर्श समाज का निर्माण कैसे संभव हैं | मजेदार बात यह हैं की जब पी.चिदम्बरम गृहमंत्री थे तब उन्होंने अमित शाह को झूठे एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार करवाया था | आज वक्त का बदलाब देखिये वही अमित शाह गृह मंत्री हैं और पी.चिदम्बरम अपराधी की भाति गिरफ्तार हो रहे हैं यहाँ सोचने वाली बात यह हैं कि आखिर प्रभावशाली लोग कानून को धता क्यो बता रहे हैं | वह अपने रसूख में क्यों भूल जाते हैं की वक्त बदलने म...
आखिर इतनी बैचेनी क्यो
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आखिर इतनी बैचेनी क्यो

जम्मूकश्मीर से धारा 370 के हटाये जाने के बाद से केंद्र सरकार की कोशिश हैं की वह कश्मीर में हालात सामान्य कर एक सुरक्षा का माहौल तैयार करे | इसके लिए केंद्र सरकार अपनी और से पूर्ण प्रयास कर रही हैं, इतना ही नहीं केंद्र आला अधिकारी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कश्मीर पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं| और हर संभब सुरक्षा और शांति के प्रयास जारी हैं इसके लिए साकार को जो भी कदम उठाने चाहिए उसने वह पूरी तरह से उठाये हैं क्योँकि जब भी कोई ऐतिहासिक फैसला लिया जाता हैं तो उसके तहत ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाती हैं भले ही सरकार के इन कदमो को लोग तानाशाही कहे पर हकीकत यही हैं | कि प्रशासन हर हाल में नागरिको को सुरक्षित देखना चाहता हैं पर दुर्भाग्य हैं की तथाकथित राजनैतिक पार्टी के लोग इस शक्ति से इतने बैचेन हैं की उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा हैं की वे क्या बोल रहे हैं | उनकी से ऐसा प्रतीत ह...