जिस तरह से कुछ समाचार पत्र छात्र संघ चुनावकराय जाने के लिए तरह-तरह के तर्क दे रही हैं और सरकार को चुनाव करने के लिए मजबूर सा कर रहे हैं |ऐसे में उन समाचार पर्त्रो पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं की आखिर वो छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल करना चाहते हैं ोे सरकार को भी इस छात्र संघ चुनाव से क्या हासिल होने वाला हैं
समाचार पत्रों के बुद्दिजीवी पत्रकार भले ही तरह -तरह के तर्क देकर छात्र संघ चुनाव पैरवी कर रहे हो पर उन्हें छात्र संघ चुनाव के दौरान पुराने अनुभवों पर भी ध्यान देना चाइये आज महाविद्यालय सिख्सा के मंदिर वने हुए हैं छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया से वही महाविद्यालय राजनीति का अखाडा बनते नजर आरहे हैं और ऐसे में अपराध की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता
ऐसा लग रहा हैं कुछ संचार पात्र किसी एजेंडे के छात्र संघ चुनाव की बकालत कर रहे हैं या यह कहे की राजनितिक पार्टियों के लिए छात्रसंघ चुनाव बरदान सावित होने वाले हैं | क्योँकि जिस तरह से राजनितिक पार्टियों के प्रति छात्रों की रुचि काम हुयी हैं उसे देखते हुए ये सब किया जा रहा हैं
तत्कालीन सरकार के मुखिया दिग्विजय सिंह जी ने उक्त प्रक्रिया को अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव करने का निर्णय लिया था महाविद्यालयो में छात्र संगठनों की राजनीति देखते हुए ऐसे निर्णय लेना पड़ा था ऐसा लग रहा हैं की दिग्विजय सिंह के निर्णय को पलटने के लिए ये सब किया जा रहा हैं