Tuesday, October 21

संपादकीय

मध्यप्रदेश की राजनीति में जारी हैं शय-मात का खेल
Uncategorized, संपादकीय

मध्यप्रदेश की राजनीति में जारी हैं शय-मात का खेल

मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा हैं शय -मात का खेल खुले आम देखा जा रहा हैं राजनीति की गिरावट कहे या स्वार्थ की राजनीति जिसमे अब विधायक भी रेस के घोड़े की तरह उपयोग किये जा रहे हैं सत्त्ता का केंद्र वन चुकी राजनीति में अब सब कुछ जायज माने जाने लगा हैं संख्या बल की पूर्ती के लिए कोई भी दाम दिया जा सकता हैं वही दूसरी और अपनी अपनी महत्वकांक्षाये भी इस खेल का मोहरा बन गयी हैं | जिस तरह से मध्यप्रदेश की राजनीति में अचानक भूचाल आया हैं उसने सभी को स्तब्ध कर दिया हैं जोड़ - तोड़ पर बनी सरकार का यही हश्र होता हैं खरीद फरोख्त की बात से शुरू हुयी राजनीति इस्तीफा के दौर तक पहुंच गयी और प्रदेश के नेताओ के साथ केंद्र के नेताओ पर भी अपना असर डाल दिया इसी असर के चलते कांग्रेस से रुष्ट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की शरण ले ली हैं यह राजनीति के शय -मात का खेल रही सभा में भी...
सिंधिया ने दिखाई शक्ति
संपादकीय

सिंधिया ने दिखाई शक्ति

राजनीति में कुछ भी हो सकता हैं यह बात हमेशा से कही जाती रही हैं और यह भी कहा जाता रहा हैं की राजनीति कोई किसी का स्थाई दुश्मन नहीं होता क्योँकि यह राज-निति हैं इसमें किसी के कोई सिद्धांत नहीं रहते किसी भी राजनीतिक व्यक्तियो पर लोग ज्यादा भरोसा नहीं करते क्योँकि ऐसे कई उदाहरण हैं जहा मौके मौके पर वक्त के साथ लोग अपने दलबदलते रहे हैं | 2018 में हुए मध्यप्रदेश के चुनाव में भाजपा - कांग्रेस की सीधी टक्कर थी और यह टक्कर पार्टी के अलावा एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे तो दूसरी और कांग्रेस के मुख्य चेहरे के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया थे इसी के चलते मध्यप्रदेश भाजपा ने जो विज्ञापन बनाया था उसमे भी सीधा सीधा अटैक सिंधिया पर करते हुए यह कहा जा रहा था की माफ़ करो महाराज हमारा नेता शिवराज | वक्त की बलिहारी देखिये जिस 2018 केचुनाव में जिन महाराज से भाजपा दूरी बनाकर सत्ता पाना चाहत...
फीके पड़ते होली के रंग
संपादकीय

फीके पड़ते होली के रंग

भारतीय सनातन संस्कृति का मुख्य त्यौहार होली के रंग अब फीके पड़ते जा रहे हैं समय का बदलाव कहे या आधुनिकता की खुमारी ने अपना प्रभाव इन त्योहारों पर भीडाल दिया हैं पढ़ाई का बोझ और नए युग के साजो सामान में व्यस्त आज का युवा अपनी संस्कृति से कटता जा रहा हैं और परिवार में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानो को या तो वो रूढ़िवादिता मान रहा हैं या पुरानी सभ्यता मानकर उससे दूर हो रहा है | इन त्योहारों के प्रति लोगो की उदासीनता का एक कारण छोटे होते परिवार भी हैं जहा अमूमन पहले एक घर में सात से दस बच्चे हुआ करते थे आज वहा मुश्किल से एक से दो बच्चे दिखाई देते हैं उसमे भी पढ़ाई संस्कृति ने उन्हें घर से दूर कर दिया हैं जिससे वह अपने परिवार के संस्कारो से भी कट रहा हैं | दुसरा महत्वपूर्ण एक कारण और हैं पहले जहा संयुक्त परिवार हुआ करते थे आज वह संयुक्त परिवार एकल परिवार बाद में सिमट कर रह गया हैं | कही -...
हर दिन हो महिला दिवस
संपादकीय

हर दिन हो महिला दिवस

क्या हम साल में एक दिन महिला दिवस मनाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर देते हैं क्या हमें महिलाओ के सम्मान के लिए एक दिन की आवश्यकता हैं | ऐसे प्रश्न आज इसलिए खड़े हो रही हैं की भारत जैसे देश में जहा पर आदिकाल से महिलाओ को बराबर का सम्मान दिया जाता रहा हैं और उनके सम्मान पर आंच के चलते युद्ध जैसी परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा हैं | हां यह अलग बात हैं की बीच के कालखंड में महिलाओ पर अत्याचार भी बहुत हुए हैं जो एक सभ्य समाज के लिए कही से भी उचित नहीं कहा जा सकता और इन दिनों भी पुरुषो ने तो मानसिकता धारण कर रखी हैं वह भी सोचने पर मजबूर करती हैं क्योँकि जिस भारत में महिलाओ को इतना सम्मान दिया गया जहा बेटिया माँ भगवती के रूप में पूजी गयी और बहु बनते ही उन्हें महालक्ष्मी का दर्जा दिया गया हो उस देश में जब रेप अत्याचार दुराचार जैसी घटनाएं सुनाई देती हैं तो निश्चित ही बड़ा कष्ट होता हैं इसल...
विश्वास खोते बैंक
संपादकीय

विश्वास खोते बैंक

देश में इन दिनों बेंको की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं आये दिन होते घोटाले और एनपीए के चलते कई बैंक बंद होने की कगार पर आ गए हैं आजादी के बाद बैंक का राष्ट्रीयकरण कर आम नागरिको में एक विश्वास पैदा किया था पर वह राष्ट्रीयकरण आम उपभोक्ता के लिए जहा सुविधा लेकर आया वही राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते दुखद खबर भी बन गया | जिस तरह से बैंको में एनपीए का खेल उजागर हुआ हैं उससे आम आदमी की गढ़ी कमाई ठिकाने लग गयी हैं इसका असर सीधा - सीधा बैंको पर पड़ा बैंक कर्ज के बोझ के तले दबते चली गई और प्रोफिट की जगह लोस दिखाई देने लगा इससे कई बैंक बंद हो गए और कई बैंक बंद होने की कगार पर हैं बैंको द्वारा जिस तरह से लोन बाटा गया और उसकी रिकबरी उस तरह से नहीं की गयी जिससे बैंको को नुकसासन हुआ इतना ही नहीं कई हजार करोड़ रूपए लेकर बड़े - बड़े उधोगपति फरार हो गए उनके द्वारा पैसा जमा न करने के कारण छोटे उप...
राजनीति की गलियों में इतना तूफ़ान क्योँ हैं
संपादकीय

राजनीति की गलियों में इतना तूफ़ान क्योँ हैं

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार जिस दिन से बनी हैं उस दिन से अस्थिरता की तलवार लटक रही हैं | आये दिन सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी चलती रहती हैं और सरकार के अस्थिर होने की खबरे भी मिडिया में आ रही हैं बैसे भी कमलनाथ सरकार जोड़तोड़ पर टिकी हुयी हैं | गुटवाजी में वटी कांग्रेस एक दूसरे को शहमात का खेल खेलते आ रहे हैं इधर भाजपा में भी खींचतान के चलते सरकार गिराने की बयानबाजी आये दिन देखी जा सकती हैं कई वार भाजपा के नेताओ द्वारा सरकार गिराने की बात कही गयी पर संगठन की शक्ति के बाद उन नेताओ ने अपने ही बयानों से पल्ला झाड़ लिया | अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा शिवराज सिंह पर अपने विधायक खरीदे जाने की बात कर रहे हैं | पर शिवराज सिंह ने इस तरह के आरोपों को नकार दिया हैं पर कही न कही कुछ तो हलचल चल रही हैं | जिस तरह थमे हुए पानी में कोई एक पत्थर डाल देता हैं तो पानी मे...
कोरोना की दहशत में दुनिया
संपादकीय

कोरोना की दहशत में दुनिया

चायना से जन्मे कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया हैं | इस वायरस की चपेट में जो भी आ रहा हैं वह सीधा मौत का ग्रास बन रहा हैं | इस भयानक वीमारी के उपचार के लिए ठोस प्रयास किये जा रहे हैं | पर सफलता हाथ नहीं लग रही हैं | अभी तक ये वायरस सिर्फ चीन में था पर अब यह धीरे - धीरे दुनिया के अलग - अलग देश में फैलता जा रहा हैं जिससे भारत भी अछूता नहीं हैं | बताया जाता हैं भारत में अभी तक इस वायरस के पांच मरीज देखने में आये हैं | बैसे भारत सरकार ने चीन में फसे भारतीयों को निकालने का बड़ा ही साहस भरा कार्य किया था भारत सरकार ने कोरोना वायरस निपटने के लिए अपने स्तर पर ठोस तैयारी कर राखी हैं | आज उत्तरप्रदेश सरकार ने भी सभी कम्पनियो को नोटिस देकर विदेश से आ रहे नागरिको की जानकारी देने को कहा हैं क्योँकि वायरस संपर्क मे सक्रिय हो रहा हैं | इस लिए सरकार को ऐसी एडवाइजरी जारी करनी पड़ी क्यो...
सीएए के विरोध से मुसलमान को क्या मिला
Uncategorized, संपादकीय

सीएए के विरोध से मुसलमान को क्या मिला

केंद्र सरकार द्वारा विदेशो में धार्मिक रुप से प्रताड़ित किये जा रहे अल्पसंख्यको को भारत की नागरिकता में छूट देने के लिए कानून में संशोधन कर उन्हें ये सुबिधा दी गयी की जब भी वह भारत में नागरिकता का आवेदन करेंगे तो इस कानून के तहत भारत उन्हें शरण देगा | इस कानून को सीएए के नाम से लोकसभा और राज्य सभा में पास किया गया जिस पर सभी पक्षों ने विस्तार से चर्चा की और यह पहला कानून नहीं हैं | जिस पर लोकसभा में चर्चा न हुयी हो पर सीएए को लेकर राजनितिक पार्टियो ने अपना हित साधने के लिए मुसलमानो को आगे करके केंद्र सरकार पर दबाब बनाया | अब सवाल यह उठता हैं कि इस सीएए का विरोध करने से मुसलमानो को क्या हासिल हुआ रामलीला मैदान से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी , प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी के द्वारा सीएए का विरोध करते हुए लोगो से आर-पार की लड़ाई लड़ने का आव्हान किया | इस आव्हान पर देश में जगह जगह मु...
आखिर किसका मकसद पूरा हो गया दिल्ली की हिंसा में
Uncategorized, संपादकीय

आखिर किसका मकसद पूरा हो गया दिल्ली की हिंसा में

आखिर दिल्ली अराजकता की आग में झुलस ही गयी विगत दो माह से सीएए को लेकर जो विरोध था वह थमने का नाम नहीं ले रहा हैं | जिस तरह से शाहीनवाग को बंधक बनाया गया था वह कानूनी रूप से कही से भी सही नहीं ठहराया जा सकता और उस शाहीनवाग को समर्थन करने पहुंच रहे राजनितिक लोगो, पत्रकारों,बुद्धिजीवियों के सामने अब ये बड़ा प्रश्न हैं कि जिस अराजकता का वह समर्थन कर रहे थे | उसका परिणाम इस हिंसा के रूप में दिखाई देने लगा हैं | विरोध करना प्रजातंत्र में सभी का अधिकार हैं जिस संबिधान और राष्ट्रध्वज को हाथ में लेकर सीएए का विरोध कर रहे थे उसी राष्ट्रध्वज और संबिधान के द्वारा बनाये गए कानून का मखोल भी बढ़ाया जा रहा हैं क्योँकि उसी संबिधान में यदि कुछ अधिकार दिए गए हैं तो कुछ कर्तव्य भी हैं आप विरोध के नाम पर आम नागरिको को परेशान करके उनके अधिकारों का हनन नहीं कर सकते इतना ही नहीं उसी संबिधान में नागरिको के लि...
नई सदी में प्रवेश करती  भारत –  अमेरिका दोस्ती
Uncategorized, संपादकीय

नई सदी में प्रवेश करती भारत – अमेरिका दोस्ती

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की यात्रा से भारत - अमेरिका नई सदी में नये विश्वास के साथ आगे बढ़ने का एक सुनहरा अवसर दिखाई दे रहा हैं | एक और जहा भारत अपनी अर्थव्यवस्था को पांच मिलियन पर पहुंचाने का लक्ष्य रखे हुए हैं| वही अमेरिका भी भारत में तीन मिलियन की साझेदारी करना चाहता हैं | अमेरिका के अपने व्यावसायिक हिट हैं अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ा हथियार विक्रेता हैं | तो भारत भी अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए हथियार खरीदी की होड़ में पहले पायदान पर हैं | ऐसे जहां पूरा विश्व आर्थिक मंडी के दौर से गुजर रहा हैं | वही भारत में विकास की अपार संभावना हैं उन सम्भावनाओ में अमेरिका अपने हित के साथ आगे बढ़ना चाहता हैं | आज भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति का आना और गर्म जोशी से स्वागत अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा अपने सम्बोधन में भारत की संस्कृति को महत्त्व देना ही निश्चित ही दोनों देशी के लि...