Sunday, October 19

आखिर किसका मकसद पूरा हो गया दिल्ली की हिंसा में

आखिर दिल्ली अराजकता की आग में झुलस ही गयी विगत दो माह से सीएए को लेकर जो विरोध था वह थमने का नाम नहीं ले रहा हैं | जिस तरह से शाहीनवाग को बंधक बनाया गया था वह कानूनी रूप से कही से भी सही नहीं ठहराया जा सकता और उस शाहीनवाग को समर्थन करने पहुंच रहे राजनितिक लोगो, पत्रकारों,बुद्धिजीवियों के सामने अब ये बड़ा प्रश्न हैं कि जिस अराजकता का वह समर्थन कर रहे थे | उसका परिणाम इस हिंसा के रूप में दिखाई देने लगा हैं |

विरोध करना प्रजातंत्र में सभी का अधिकार हैं जिस संबिधान और राष्ट्रध्वज को हाथ में लेकर सीएए का विरोध कर रहे थे उसी राष्ट्रध्वज और संबिधान के द्वारा बनाये गए कानून का मखोल भी बढ़ाया जा रहा हैं क्योँकि उसी संबिधान में यदि कुछ अधिकार दिए गए हैं तो कुछ कर्तव्य भी हैं आप विरोध के नाम पर आम नागरिको को परेशान करके उनके अधिकारों का हनन नहीं कर सकते इतना ही नहीं उसी संबिधान में नागरिको के लिए कानून भी बनाये गए हैं और उस कानूनों का पालन सभी को करना चाहिए |

दुर्भाग्य यह हैं की अपने निजी महत्वकांक्षाओ की पूर्ति के लिए मुसलमानो को आगे करके देश की संसद में बने हुए कानून के विरोध का सहार लेकर इस तरह की हिंसा कहा से जायज मानी जा सकती हैं |

सीएए के विरोध में जिस तरह से मुसलमानो ने पूरे देश में तांडव मचाया हैं | उसे कही से भी उचित नहीं माना जा सकता जबकि यह एक अच्छा अवसर था जब देश के मुसलमान भारत के साथ खड़े होकर उन प्रताडिक्ट लोगो के पक्ष में बात करते जो बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में पीड़ित हैं | पर ऐसा न होकर उन्होंने उन लोगो के हित की बात की से कोई बास्ता नहीं हैं |

फिर भी भारत के धैर्य की परीक्षा देखिये दो माह से धरने पर बैठे लोग भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को गंदे और अपशव्दो का प्रयोग करते आ रहे हैं | दुःख की बात तो यह हैं की इस मानसिकता का वो पड़ा लिखा मुसलमान समर्थन कर रहा हैं | जो आपने आपको बुद्धिजीवी कहता हैं | फ़िल्मी दुनिया के लोग जिनको भारत के लोगो ने अपार प्यार दिया संगीतकार एबं प्रशसनिक सेवाओं में बैठे लोग भी इन आंदोलनकारियों का समर्थन करते नजर आये क्या सच को स्वीकार करना और सच से मुँह मोड़ना ये राजनीति का हिस्सा बन गए हैं |

अब जब दिल्ली जल रही हैं तो इसमें किसका मकसद हल हो रहा हैं तो इसमें किसका मकसद हल हो लोग कल जो इन आंदोलनकार्यो का समर्थन करते थे इस हिंसा की जिम्मेदारी लेगी |