Tuesday, October 21

मध्यप्रदेश की राजनीति में जारी हैं शय-मात का खेल

मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा हैं शय -मात का खेल खुले आम देखा जा रहा हैं राजनीति की गिरावट कहे या स्वार्थ की राजनीति जिसमे अब विधायक भी रेस के घोड़े की तरह उपयोग किये जा रहे हैं सत्त्ता का केंद्र वन चुकी राजनीति में अब सब कुछ जायज माने जाने लगा हैं संख्या बल की पूर्ती के लिए कोई भी दाम दिया जा सकता हैं वही दूसरी और अपनी अपनी महत्वकांक्षाये भी इस खेल का मोहरा बन गयी हैं |

जिस तरह से मध्यप्रदेश की राजनीति में अचानक भूचाल आया हैं उसने सभी को स्तब्ध कर दिया हैं जोड़ – तोड़ पर बनी सरकार का यही हश्र होता हैं खरीद फरोख्त की बात से शुरू हुयी राजनीति इस्तीफा के दौर तक पहुंच गयी और प्रदेश के नेताओ के साथ केंद्र के नेताओ पर भी अपना असर डाल दिया इसी असर के चलते कांग्रेस से रुष्ट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की शरण ले ली हैं यह राजनीति के शय -मात का खेल रही सभा में भी अपनी भूमिका अदा करने के हिसाब से शुरू होता लग रहा हैं क्योँकि राज्य सभा में बहुमत के लिए बगैर विधायकों के जीत हासिल नहीं की जा सकती |

ऐसे में दोनों ही पार्टीयो ने अपने अपने उमीदवार घोषित कर दिए और दोनों ही पार्टियों के प्रयास हैं की वह किसी न किसी तरह अपने प्रत्याक्षी को राज्यसभा भेजे इसी गणित को पूरा करने के लिए दोनों ही पार्टिया अपने अपने विधायकों को अपने के उद्द्येश से अलग अलग जगह पर रखे हुए हैं जैसे किसान अपने फसल की चौकीदारी करता हैं बैसे ही ये राजनैतिक पार्टिया अपने अपने विधायकों की चौकीदारी करती नजर आ रही हैं इस सबके बीच विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल महोदय की भूमिका भी बड़ी ही महत्वपूर्ण होने जा रही हैं

अब देखना यह हैं की 16 तारीख से विधानसभा का जो सत्र प्रारम्भ होने जा रहा हैं उसकी क्या स्थिति बनती हैं और ये राजनीति के शय -मात का खेल किस दिशा की और जाएगा क्योँकि राज्यपाल महोदय ने 26 तारीख तक किसी भी तरह के फ्लोर टेस्ट की अनुमति नहीं दी हैं ऐसे में यह मामला और दिलचस्प होता जा रहा हैं खैर अब तो सिर्फ इंतजार करके ही इस पूरे खेल को देखा जा सकता हैं |