
केंद्र सरकार द्वारा विदेशो में धार्मिक रुप से प्रताड़ित किये जा रहे अल्पसंख्यको को भारत की नागरिकता में छूट देने के लिए कानून में संशोधन कर उन्हें ये सुबिधा दी गयी की जब भी वह भारत में नागरिकता का आवेदन करेंगे तो इस कानून के तहत भारत उन्हें शरण देगा | इस कानून को सीएए के नाम से लोकसभा और राज्य सभा में पास किया गया जिस पर सभी पक्षों ने विस्तार से चर्चा की और यह पहला कानून नहीं हैं | जिस पर लोकसभा में चर्चा न हुयी हो पर सीएए को लेकर राजनितिक पार्टियो ने अपना हित साधने के लिए मुसलमानो को आगे करके केंद्र सरकार पर दबाब बनाया |
अब सवाल यह उठता हैं कि इस सीएए का विरोध करने से मुसलमानो को क्या हासिल हुआ रामलीला मैदान से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी , प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी के द्वारा सीएए का विरोध करते हुए लोगो से आर-पार की लड़ाई लड़ने का आव्हान किया | इस आव्हान पर देश में जगह जगह मुसलमान नागरिक सड़को पर दिखाई देने लगे इतना ही नहीं शाहीन बाग में तो महिलाओ को आगे करके धरना शुरू कर दिया जो 77 दिनों से जारी हैं | अब ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजमी हैं कि आखिर इस विरोध से मुसलमानो को क्या प्राप्त हुआ |
सिवाय पूरे देश में मुसलमानो ने अपने ही हाथो अपनी छवि एक विरोधी के रूप में प्रस्तुत कर दी | इससे देश के आम जान-मानस मुसलमानो द्वारा किये जा रहे विरोध के प्रति रोष व्याप्त हो गया | इतना ही नहीं आज जो लोग खुलकर नहीं बोल पाते थे इस विरोध के बाद वह भी खुलकर वोलने लगे हैं सीएए के विरोध करके मुसलमानो ने दूसरे देशो में भी अपनी छवि खराव कर ली हैं क्योँकि जब तक सीएए का किसी ने अध्यन नहीं किया था तब तक ऐसा लग रहा था की सरकार शायद सच में कुछ गलत कर रही हैं | पर जब सचाई लोगो के सामने आयी तो षड्यंत्र उजागर होने लगे | भला होता की पूरे क़ानून को समझकर उचित स्थान पर विरोध करते तो शायद एक अच्छा सन्देश दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा सकता |
यदि हम सीएए को लेकर सही से विश्लेषण करे तो पाएंगे की मुसलमानो ने सीएए का विरोध करके पूरे देश में अपने ही खिलाफ माहौल बनवा कर स्वयं की क्षति ही हाथ लगी