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संपादकीय—सांप को दूध पिलाने से…..
भले ही हम सांप को दूध पिलाकर उसकी प्रवृति बदलने की कोशिश करते हों पर वह अपने मूल स्वभाव को नहीं छोडता। यही हाल कश्मीर में रह रहे कश्मीरी मुसलमानों का है। वह भारत की भूमि का अन्न खाते हैं, भारत की मदद पर निर्भर रहते हैं, भारत के पर्यटन पर गुजरबसर करते हैंऔर गाना पाकिस्तान का गाते हैं। जिन सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर दिन और रात एक करके भीषण बाढ़ से निकालकर नया जीवन देने के बाद भी ये कश्मीरी उन पर पत्थर और गोलियां बरसाते हैं।
हाल ही में आतंकवादी घटना में शहीद हुए कर्नल राय को जिस तरह से धोखे से मारा है वह इन कश्मीरियों की मानसिकता को दर्शता है। धोखे से हमला करना इनकी फितरत सी बन गई है। आतंकवादी के जनाज़े में कश्मीरी मुसलमानों की शिरकत ने यह साबित कर दिया कि यह उसी नाग की तरह हैं जिसे दूध पिलाने से अमृत निकलने वाला नहीं हैं। यह तो हमारी संस्कृति है जो इन नागों को भी हम दूध पिलाने में लग...