Monday, September 22

नई दि‍ल्ली-गंगा पॉल्‍यूशन पर केंद्र सरकार सख्‍त,

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नई दि‍ल्ली। गंगा बेसिन को प्रदूषण मुक्त बनाने की सरकार की मुहिम यूपी से लेकर पश्चिम बंगाल तक की करीब 1300 औद्योगिक इकाइयों की मुश्किलें बढ़ा सकती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित गंगा बेसिन के राज्यों की सरकारों को नोटिस भेजा है। इसके तहत राज्‍यों को छह हफ्ते के भीतर गंगा में बढ़ रहे औद्योगिक प्रदूषण पर सख्‍त कदम उठाते हुए एक्‍शन प्लान बनाने को कहा है। प्रदूषण फैलाने वाली जो इकाइयां एनजीटी के राडार पर हैं, उसमें उत्तर प्रदेश की चीनी, टैनरी, कैमिकल बिहार की ऑटो पार्ट, सिल्क, रंगाई और पश्चिम बंगाल की लैदर, कैमिकल, फर्टीलाइजर से जुड़ी छोटी इकाइयां शामिल हैं।

बंद हो सकती है 1307 इकाइयां
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बनाई गई एक उच्च स्तरीय समिति ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल,हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान की थी। समिति के मुताबिक, सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट की कमी और सरकार और उद्योगों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते प्रदूषण घातक स्‍तर तक पहुंचा है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 1307इकाइयों की पहचान की है जो कि गंगा और उसकी सहायक नदियों को गंभीर रूप से प्रदूषित कर रही हैं।
राडार पर यूपी की 993 इकाइयां
समिति के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गंगा को 993 औद्योगिक इकाइयां गंभीर रूप से प्रदूषित कर रही हैं जिसमें से 291 औद्योगिक इकाइयां बिना अनुमति के ही चल रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यूपी में कानपुर के निकट जाजमऊ में 400 से अधिक टैनरी हैं। इसके अलावा कन्नौज, कानपुर की कैमिकल इकाइयां और भदोही, इलाहाबाद और वाराणसी की रंगाई से जुड़ी इकाइयां भारी मात्रा में जल को प्रदूषित कर रही हैं। वहीं टैनरी संचालक इसके लिए सरकार को ही दोषी मान रही हैं। टैनरी संचालक अशरफ रिजवान के अनुसार, बिजली न मिलने के कारण ट्रीटमेंट प्‍लांट बंद रहते हैं। वहीं जो चल भी रहे हैं उनमें भी स्लज ट्रीट किए बिना ही बहाया जा रहा है। इसके बावजूद उद्योगों को ही दोषी माना जा रहा है।
बिहार, प.बंगाल की लैदर और प्रिंटिंग यूनिट पर खतरा
प्रदूषण को लेकर सरकार के सख्‍त कदम से बिहार और पश्चिम बंगाल की कैमिकल और लैदर यूनिट, झारखंड की एंसिलरी यूनिट की मुश्किलें बढ़ सकती है। बिहार के भागलपुर में टैक्स्टाइल यूनिट चला रहे रहे रईस आलम बताते हैं कि रंगाई हमारा पुश्तैनी पेशा है। हमारे पास कैमिकल ट्रीट करने के लिए न तो तकनीक है और न ही पैसा। यह जिम्मेदारी सरकार ही है। लेकिन समय समय पर सरकारी अधिकारी पॉल्यूशन के नाम पर वसूली करते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल के वर्धमान में लैदर कटिंग यूनिट चला रहे श्रेयांस चौधरी बताते हैं कि गंगा के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन जिस निवेश की जरूरत है वह सरकार ही कर सकती है। इंडस्‍ट्री बंद कर देने से सिर्फ बेरोजगारी बढ़ेगी। और कुछ बेहतर नहीं होगा।
तमिलनाडु की लैदर यूनिटों को फायदा
कानपुर के टैनरी कारोबारी आदिल शाह बताते हैं कि टेनरियां बार-बार के बंदी आदेश से पहले ही मुश्किलें झेल रही हैं। इलाहाबाद में जारी वार्षिक माघ मेले के मद्देनजर कानपुर और आसपास की टेनरियों को एक माह में लगभग 15 दिन बंद रखने का आदेश पहले से ही मिला हुआ है। कानपुर का चमडा व्यापार सबसे ज्यादा यूरोपीय देशों से होता है उसके बाद अमेरिका, अफ्रीकी देशों और साउथ अमरीका जाता है। लेकिन इस साल ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो गया है। कानपुर के परंपरागत ग्राहक भी अब कोलकाता और चेन्‍नई की ओर मुड़ रहे हैं।
यूनिटों को बंद करने की कार्रवाई शुरू
नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद पिछले एक सप्ताह में सवा सौ से अधिक उद्योगों पर कार्रवाई हो चुकी है। रविवार को जाजमऊ की 98 टैनरी की बिजली काट दी गई। वहीं सोमवार को कानपुर की चार अन्य औद्योगिक इकाइयों की बिजली काटी गई। इन पर भी एनजीटी के मानकों का उल्लंघन करने और गंगा प्रदूषण को बढ़ावा देने का आरोप था। इसके अलावा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने भी बाहरी दिल्ली के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर चल रही 17 फैक्ट्रियों को बंद करने के निर्देश दिए हैंbetwaanchal.com