Tuesday, October 21

संपादकीय

कव तक शहीद होंगें ,हमारे सैनिक..
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कव तक शहीद होंगें ,हमारे सैनिक..

जम्मू। एक बार फिर हमारे सैनिक अपना फर्ज निभाते शहीद हो गये, कश्मीर के हंदवाड़ा मे अपनी जान पर खेलकर बंधकों को मुक्त कराने के चलते एक कर्नल ओर एक मेजर सहित पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये। बारबार इस तरह की घटनाओं मे हमारे न जाने कितने सैनिक अपनी शहादत दे रहे हे ,इस समस्या का कोई स्थाई समाधान करना होगा ,क्योंकि सैनिक की शहादत से अकेला सैनिक ही शहीद नहीं होता ,उसके साथ ,पूरा परिवार के सपने बिखर जाते है। किसी का भाई तो किसी का पति तो किसी का पुत्र ओर न जाने कितने बच्चों के सपने चूर हो जाते है।...
कोरोना के सैनिकों ,को सेना का सम्मान
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कोरोना के सैनिकों ,को सेना का सम्मान

कोरोना वायरस का संक्रमण किसी युद्ध से कम नहीं हे, जिससे लडनेवाले योद्धा कोरोना वॉरियर्स कहला रहे हे,जिसमें डॉक्टर ,पुलिस, वार्डबॉय, नर्सिंग स्टाफ ,सफाई कर्मचारी, जो इस खतरे के बीच अपनी जरूरी सेवाएं दे रहे ,उन सवके जज्बे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही हौंसला बढाने मे लगे हे ,कभी थाली बजवा कर तो कभी दीपक जलबा कर ,ओर अव ये सेना द्वारा उनके सम्मान मे एक साथ सैनिक सलाम वाकई अद्भुत। देश के इतिहास मे वो सव हो रहा हे जो आज के पहले कभी नहीं हुआ, ओर उन शव्दों को पहली बार ही सुना जा रहा हे जो पहले कभी नहीं सुने।जैसे लॉकडाउन, वॉरियर्स, सेनेटाइजर, आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग , जैसे शव्द।इसी तरह सैनिकों द्वारा पहली बार हे जव सिविल सेवा के लोगों के प्रति इतना बढा सम्मान दिया गया हो यह वाकई राष्ट्र के प्रति एकता ओर सदभाव को बढाने बाला कदम हे।आने बाली पीढियां इस कदम की हमेशा सराहना करेंंगी...
अव मानवधिकार, सेलिब्रिटी, संज्ञान लेने वाले ओर विपक्ष मौन क्यों ?
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अव मानवधिकार, सेलिब्रिटी, संज्ञान लेने वाले ओर विपक्ष मौन क्यों ?

महाराष्ट्र की 16 तारीख को घटित हुई 19 तारीख को सोशलमीडिया के द्वारा देश के सामने आने के बाद भी देश के वो सव मौन हे जो जरा जरा सी बातों का स्वयं संज्ञान ले लिया करते है । वो मानवाधिकार की डोली उठाने बाले चुप क्यों है,वो बात बात मे तकती लेकर देश की छवि खराब करते हे ,वो आज मौन क्यों हैं। वो विपक्ष हमेशा मुसलमानों के लिए ढाल बनकर खडा हो जाता है ओर कोई मुसलमान अपराधी के रुप मे खडा दिखाई दे तो मौन हो जाता है ।...
पुलिस को नमन..
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पुलिस को नमन..

अच्छे- बुरे की पहचान, अच्छे ओर बुरे बक्त मे ही होती है, यह बात हर व्यक्ति ,समाज ओर देश पर भी लागू होती है। आज भारत भी दुनिया मे आये कोरोना संकट से जूझ रहा हे ।इस विपत्ति के समय मे सरकारी तंत्र जिस मुस्तैदी से काम कर रहा हे वह तारीफ के काबिल हे। जिसमें पुलिस डॉक्टर,नर्सेज साभी अपनी अपनी भूमिका बडी ही जिम्मेदारी से निभा रहे है। इसमें जहां डॉक्टर व नर्सेज अपनी जान जोखिम मे डालकर संक्रमित लोगों का इलाज करते है ,वहीं पुलिस भी इस संकट के दौर मे देवदूत की तरह काम करती नजर आ रही हे ।पुलिस की मुस्किल यह हे एक तरफ आम पब्लिक को निंयत्रित करना दूसरी ओर डॉक्टर को सुरक्षा देना ।इस सवके बावजूद अपने परिवार से दूर रह कर सेवा करना । दुःख तो तव होता है जव पुलिस इस बिसम परिस्थिति मे अपनी जान जोखिम मे डालकर जन सेवा कर रहे हे वहीं कुछ जाहिल उन पर हमला कर रही हे तो कहीं थूक रहे है ।बढे ही दुर्भाग्य की...
क्या तबलीगी जमात पर प्रधानमंत्री जी को बोलना चाहिए था।
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क्या तबलीगी जमात पर प्रधानमंत्री जी को बोलना चाहिए था।

कोरोना संक्रमण के चलते देश मे इक्कीस दिन का लॉकडाउन किया गया था ।आज उसका आखिर दिन था प्रधानमंत्री जी के राष्ट्र को सम्बोधन का समाचार कल ही लग गया था ओर कल से ही तरह तरह की आशंका भी व्यक्त की जा रही थी ,किस तरह का रिएक्शन होगा प्रधानमंत्री जी का । आखिर आज दस बजे रामायण के ब्रेक मे प्रधानमंत्री जी का राष्ट्र के नाम संदेश शुरू हो गया ,उन्होंने कई तरह की बात कही ओर तीन मई तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी , उसके बाद से ही उनके भाषण पर सोशल मीडिया पर यह कहा जाने लगा की प्रधानमंत्री जी ने तबलीगी जमातियों के बारे मे कुछ नहीं कहा। निष्चित तौर पर तबलीगी जमात पर कहना तो बनता है क्योंकि जिसके कारण पूरा देश संकट मे पहुंच गया इतना ही नहीं पूरे देश मे उनकी हरकतें कहीं से भी इंसानों बाली नहीं कही जा सकती । उनका व्यवहार अमानवीय ,निंदनीय रहा हे ,इसलिए लोगों की अपेक्षा थी की प्रधानमंत्री जी शायद कुछ बोलेंगे...
लॉकडाउन की अवधि बढाना जरूरी।
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लॉकडाउन की अवधि बढाना जरूरी।

इक्कीस दिन की लॉकडाउन की समय सीमा खत्म होने को हे ओर लॉकडाउन को लेकर राज्यों ने अपने अपने सुझाव भी देना शुरू कर दिये हे , ओर देशवासियों मे भी इक्कीस दिन कि अवधि को लेकर संशय बना हुआ है। ऐसे मे सभी अपनी अपनी राय रख रहे हे कोई खत्म करने की बात कह रहा हे तो कोई इसे जारी रखने की सभी के अपने अपने तर्क भी हे। बैसे देश की स्थिति देखें ओर भारत के लोगों का व्यवहार देखें तो अभी विलकुल भी लॉकडाउन खत्म करने की जरूरत नहीं है। देश मे जिस तरस से मरकस बालों ने इस वायरस को फैलाया हे उसे देखते हुए भी अभी इस लॉकडाउन को तीस अप्रैल तक बढाना चाहिए। क्योंकि मरकस से निकले जमाती प्रशासन के लिए चुनौती खडी कर रहे हे कहीं सही नहीं बाता रहे तो कहीं निकलकर सामने नहीं आ रहे दूसरे मस्जिदों मे नमाज़ पढने से भी बाज नहीं आ रहे । इनकी हरकतों ने पूरी मानवसमाज को मुसीबत खडी की हुई हे।गांव गांव मे इनका नेटवर्क फैला ह...
संपादकीय

मरकस वाला कोरोना।

जव से मोदी सरकार आई हे तव से मुसलमानों के कई राज उजागर हो रहे हे ,जैंसे तलाक की कई वेरायटी से भारत के लोग अनभिग्य थे जैसे ही तीन तलाक कानून बना तो लोगों तक हकीकत पहुंची। हलाला उसी तलाक के दौरान भारतीयों तक पहुंचा नहीं तो लोगों को कहॉ पता था की एक ऐसी घिनौनी प्रथा का चलन भी है। इसके बाद सीएए के विरोध के रुप मे शाहीनबाग का उदय हुआ उससे भी राष्ट्रभक्तों की पहचान हो गई ।उसके बाद दिल्ली मे दंगों का दंश भी देख लिया। अव पूरा भारत तबलीगियो के अदम्य साहस ओर राष्ट्र के प्रति समर्पण देख रहा हे ,जिस तरह से पूरे भारत को तब्लीगी जाहिलों ने प्रेम दिया हे उससे आने बाली पीढी युगों तक याद रखेगी ओर भारत की जनता को कोसेगी भी क्योंकि इतिहास से देश की जनता ने कोई सीख नहीं ली। आज मरकस का नाम पूरे विश्व मे लिया जा रहा हे,जिस तरह मरकस से निकले जाहिल जमातियों ने भारत के कोने कोने मे कोरोना वायरस को फैला क...
पुलिस का कर्फ्यू।
राज्य समाचार, संपादकीय

पुलिस का कर्फ्यू।

कर्फ्यू का नाम सुनते ही पुलिस सायरन ओर रैपिड एक्शन फोर्स की गस्त करती गाडियां अर्धसैनिक बल की जगह जगह तैनाती ओर डरे सहमें लोग ,अभी तक का अनुभव यही हे जिसमे पुलिस की भूमिका नगण्य ओर सेना कि अधिक दिखाई देती थी। पर कोरोना वायरस ने इस परिपाटी को बदल कर रख दिया ,लॉकडाउन से शुरु हुआ कर्फ्यू आज पूरी तरह पुलिस के संगरक्षण मे सफलता से चल रहा हे । लोगों को पुलिस का अहसास भी दिखाई दे रहा । बैसे जव पुलिस की बात आ ही गई हे तो इस समय पुलिस पूरी तरह बदली नजर आ रही हे आज पुलिस समाज मे देवदूत की तरह काम कर रही हे ।लोगों मे विश्वास भी जाग्रत करने के साथ उन लोगों का इलाज भी जो समाज के दुश्मन वने हुए है। कर्फ्यू को अव पुलिस कर्फ्यू कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगा इससे एक बात ओर जाहिर होती हे यदि अव कभी कर्फ्यू की नौबत आई तो पुलिस पर विश्वास किया जा सकता हे।...
तबलीगी जमात ओर आंतकवाद।
संपादकीय

तबलीगी जमात ओर आंतकवाद।

देश इस समय दोहरे संकट से गुजर रहा हे ,एक ओर जहां कोरोना का संक्रमण से सामना करना पढ रहा हे तो दूसरी ओर जाहिल जमातियों का ।पूरे विश्व मे भारत कि कोरोना को लेकर सवसे अच्छी तैयारियां चल रही थीं कि अचानक तब्लीगी जमात का षड्यंत्र उजागर हो गया । ओर देश मे कोरोना संक्रमण मरीजों की संख्या एक दम बढ गई ,यहां तक भी ठीक था , पर जमातियों द्वारा प्रशासन को चुनौती देना ,मस्जिदों मे छिप जाना ,बहार निकलने पर जगह जगह थूकना, अस्पतालों मे नर्सों से अभद्रता करना । जिहादियों ओर जमातियों के व्यवहार एक सा दिखाई देने से स्पष्ट लगने लगा कि भारत एक आंतकवाद हमले का सामना कर रहा हे ,क्योंकि इन जमातियों को कहीं भी यह अहसास नहीं हे कि उनसे गलती हुई हे ओर उस गलती को सुधरने के लिए वह इस गंभीर बीमारी से लडने मे सहयोग प्रदान करे ,मानव सभ्यता को बचाने के लिए आगे आये ।उल्टे उनका व्यवहार ने पूरी मुस्लिम समाज को शर्मिंदा...
एक ओर दीपावली
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एक ओर दीपावली

आज देश मे एक ओर, दीपावली का अहसास हो गया ।चारो ओर घरों मे जलते दीपक से ये बिल्कुल ऐसा नहीं लगा की देश किसी संक्रमण का सामना कर रहा हे। इतना ही नहीं लोगों ने उत्साह मे आतिशबाजी करके पूरी तरह दीपावली का अहसास करा दिया। धन्य हे वो देश जिसकी जनता अपने प्रधानमंत्री के एक आग्रह पर अपना समर्पण करने तैयर हो जाती हे ।ऐसे मे देश निष्चित बडी से बडी समस्या का समाधान करने का हौंसला रखता हे ।...