ओर कोई आशा राम न बन सके !
आप सवको याद होगें आशाराम बापू उम्र की दहलीज पर पहुंच कर आरोपों के भंवर मे ऐसे फसे सीधा जेल जाना पडा ।पद प्रतिष्ठा गई, करोड़ों की संपदा छिन्नभिन्न हुई ।पर सबसे ज्यादा नुकसान सनातन धर्म का हुआ यदि समय रहते कोई स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी की तरह ही उन्हें सनातन की परम्पराओं का ज्ञान करा देता तो न वो आज जेल मे होते ओर न सनातन पर कोई ऊंगली उठाता।
अंधे भक्तों ने तो उस समय भी कार्यवाही का विरोध किया था पर उस समय कोई स्वामी जी नहीं थे सीधे शासन, प्रशासन था । हमारे यहां संतों को बढा महत्व दिया गया है ,उनका सम्मान आज भी है , ओर संतों को भी आचार्य संहिता है । दुनिया में सनातन धर्म ही ऐसा है जहां सवके लिए नियम है।ओर उन नियमों से सभी बंधे है यदि नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो भगवान कोई न कोई चिदम्बरानन्द जी जैसा लाकर खडा कर देते है।
व्यासपीठ से कथा कहनेवाले सव मे भगवान की मर्जी मानते है,...