Wednesday, October 22

संपादकीय

ओर कोई आशा राम न बन सके !
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ओर कोई आशा राम न बन सके !

आप सवको याद होगें आशाराम बापू उम्र की दहलीज पर पहुंच कर आरोपों के भंवर मे ऐसे फसे सीधा जेल जाना पडा ।पद प्रतिष्ठा गई, करोड़ों की संपदा छिन्नभिन्न हुई ।पर सबसे ज्यादा नुकसान सनातन धर्म का हुआ यदि समय रहते कोई स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी की तरह ही उन्हें सनातन की परम्पराओं का ज्ञान करा देता तो न वो आज जेल मे होते ओर न सनातन पर कोई ऊंगली उठाता। अंधे भक्तों ने तो उस समय भी कार्यवाही का विरोध किया था पर उस समय कोई स्वामी जी नहीं थे सीधे शासन, प्रशासन था । हमारे यहां संतों को बढा महत्व दिया गया है ,उनका सम्मान आज भी है , ओर संतों को भी आचार्य संहिता है । दुनिया में सनातन धर्म ही ऐसा है जहां सवके लिए नियम है।ओर उन नियमों से सभी बंधे है यदि नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो भगवान कोई न कोई चिदम्बरानन्द जी जैसा लाकर खडा कर देते है। व्यासपीठ से कथा कहनेवाले सव मे भगवान की मर्जी मानते है,...
बाबा रामदेव को भी आगे आना चाहिए!
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बाबा रामदेव को भी आगे आना चाहिए!

आज बाबा रामदेव बढा नाम वन गये है इस बात का हमें गर्व है, बैसे उन्हें भी है अक्सर वो अपनी ख्याति का गान स्वयं किया करते है ,अच्छी बात है आखिर हम जैसे लोग रोज पांच बजे से उनके चैनल को टीआरपी दिलाने का काम करते है ।उन्होंने भी व्यवस्था परिवर्तन की मुहिम चला कर हम जैसे लोगों का सहयोग लिया था ।भगवान की कृपा से आज सव तरफ से भारत की जय जयकार हो रही है ।ओर पतंजलि एक बढा ब्रांड वनकर दुनिया के सामने आ गया है ।यहां तक सव ठीक है । बाबा रामदेव जैसा पहले वेवाक बोल देते थे बैसा अव नहीं वोल पाते है क्योंकि अव वो योग गुरु के साथ उद्योगपति भी हो गये है ,तो तोलमोल के बोलने लगे है नहीं तो उन्होंने भी अपनी वेवाक राय रखने मे हिचकिचाहट नहीं दिखाई, चाहे जनेऊ बाला मामला हो ,हवनका हो य राशि फल बालों का हो य फिर शनिदेव बाला हो सभी जगह अपना आक्रोश जाहिर किया ओर किसी ने आपत्ति नहीं की उनका साथ दिया। पर जव स्...
धन्यवाद मध्यप्रदेश
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धन्यवाद मध्यप्रदेश

कोरोना काल का सबसे बेकार रुप रहा मजदूरों का पलायन, राज्य सरकारों की नाकामी का परिणाम देश की भोलीभाली जनता ने सहा, उन्हें अपने घर पहचनें की बढी लम्बी कीमत चुकानी पडी पैरों मे छाले भूख से बेहाल ,लम्बी डगर ओर भीषण गर्मी उसी पर घटिया किस्म की राजनीति। कोई महाराष्ट्र से तो कोई गुजरात से तो कोई राजिस्थान से मध्यप्रदेश की ओर पलायन कर रहे थे इन्हीं मुसीबतों के बीच यात्रा सबकी ऐसी ही रही। पर जव यह सुना की मध्यप्रदेश मे प्रवेश करते ही अन्य राज्यों की तुलना मे ज्यादा सख्ती नहीं थी ,पुलिस का व्यवहार भी सराहनीय रहा ओर सबसे से ज्यादा सुकून पहुंचने वाली बात तो यह थी ,यहां के लोगों को सेवा भाव वो देखते ही बनता है अन्य राज्यों से कष्ट सहकर मध्यप्रदेश मे मजदूरों ने सुकून महसूस किया ।धन्य है मध्यप्रदेश के सेवाभावी नागरिक जिन्होंने अपना फर्ज निभाया नहीं तो दिल्ली जैसा शहर ने तो मजदूरों को सडकों पर लाक...
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मजदूरों पर बसों की राजनीति।

इन दिनों देश की सुर्खियों मे बेबस ,बेहाल मजदूरों की तस्वीरों की भरमार है ,इस भीषण गर्मी मे इन मजदूरों के दर्द को राजनैतिक लोग अपनी राजनीति का जरिया वनायें हुए हैं।लम्बे लम्बे भाषण ओर सिम्पैथी के अलावा मजदूरों को कुछ प्राप्त नहीं हो रहा ।एक राज्य से दूसरे राज्य को मजदूर आठ आठ सौ किमी पैदल जाने को मजबूर है। बगैर खानें पीने के इंतजाम के इस गर्मी मे इन बेहाल मजदूरों की दशा वाकई चिंतनीय है। इस पूरे कोरोना काल का दुखद पहलू मजदूरों की बेबसी ओर राजनैतिक दलों की हलकी राजनीति दिखाई दिया ।एक देश की परिकल्पना मे ये मजदूर तेरा मेरा क्या हो गया ऐसा लग रहा है मजदूरों का बटवारा किसी अन्य देशों के बीच चल रहा हो ,अपने ही देश मे इस तरहा का बर्ताव सोचने को मजबूर करता है । इस पूरे मामले को प्रियंका बाड्रा ने ओर राजनैतिक रंग दे दिया ।जव एक हजार बसों की अनुमति योगी सरकार से मांगी ,योगी सरकार ने भी आने की ...
व्यासपीठ की गरिमा का अनादर करने वालों की मैंं ,निंदा करता हूँ !डा.रामकमल दास वेदांती
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व्यासपीठ की गरिमा का अनादर करने वालों की मैंं ,निंदा करता हूँ !डा.रामकमल दास वेदांती

मथुरा।इन दिनों सोशलमीडिया पर देश के नामी कथावाचक लोगों के गुस्से का शिकार हो रहे है ,कारण है व्यासपीठ से कहीं फिल्मी गाने गाना ,तो कहीं शेर शायरी करना ,तो कोई कथा के दौरान अजान हो रही हो तो कथा रोक देना जैसी बाते करना शामिल है।जव ये बात स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी ने जनता के सामने रखी तो सनातन धर्मावलंबी उन संतों के विरोध मे आ गये ओर देश के नामी साधू संतों ने भी अपना विरोध जताया। इसी क्रम में स्वमी श्री रामकमल दास वेदांती जी ने भी बढी कठोर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि व्यासपीठ की गरिमा का सम्मान होना चाहिए ,उनहोंने कहा व्यासपीठ पर बैठकर हम अपनी ओर से कुछ नहीं बोल सकते जो व्यासजी महाराज ने कहा है उसी को आगे बढा सकते है क्योंकि हम तो मात्र उनके प्रतिनिधि है।यदि जो लोग ऐसा न करके शेर शायरी करते हैं ,य बोतल बाले गाना गाते है हम उनकी निंदा करते है इतना ही नहीं उन्होंने कहा यदि द...
व्यासपीठ की गरिमा को बचाने आगे आये! स्वमी चिदम्बरानन्द सरस्वती
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व्यासपीठ की गरिमा को बचाने आगे आये! स्वमी चिदम्बरानन्द सरस्वती

देश को जिस मुहीम का इंतजार था ,आखिर उसकी अलख जग ही गई ।बहुत दिनों से लोग सनातन धर्म के साथ हो रहे मजाक को मजबूरी मे सहन कर रहे थे ,पर अव देश के एक संत ने इसे रोकने के लिए अलख जगा दी है । इस महान संत का नाम है स्वमी चिदम्बरानन्द जी सरस्वती। व्यासपीठ को हंसी का पात्र वनाने बाले मुरारी बापू, चिन्मयानंद जी, देवी चित्रलेखा के खिलाफ सनातन धर्म के लोगों के साथ स्वमी चिदम्बरानन्द जी सरस्वती जी ने व्यासपीठ की गरिमा को बचाने के लिए मुहिम छेड दी है इसमें उन्हें देश विदेश के सच्चे सनातनियों का साथ मिल रहा है । यह बडा कठिन कार्य था इसमें हाथ डालने का मतलब इन बढे आडम्बर बाले कथा वचाकों के हजारों लाखों अनुयायियों का विरोध का सामना करना पर सनातन की गरिमा को बचाने किसी को तो आगे आना ही चाहिए था।सबसे बडी बात ये है इन कथा वाचकों के पीछे बढे बढे लोगों का हाथ है ,मंत्री, संत्री इनके आगे पीछे घूमते नजर आ...
आपने ही देश मे ,प्रवासी हो गये ।
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आपने ही देश मे ,प्रवासी हो गये ।

कैंसी बिडम्बना है जव देश का नागरिक अपने ही देश मे प्रवासी हो जाये ,ओर दुःख तो तव होता है जव जिनके ऊपर देश की जिम्मेदारी है वही उन मजदूरों पर राजनीति करते नजर आ रहे है ।राज्य सरकार भी इस संकट काल मे सियासत करते नजर आ रहे है। राज्य सरकारों की नाकामी देखिये मजदूरों का दर्द तक नहीं दिखाई दे रहा ,ऐसी भीषण गर्मी मे मजदूरों की दुर्गति वाकई दुख देना बाला है।इनके लिए ना तो विपक्ष सामने आ रहा ओर ना ही वो मजदूर संगठन जो इनकी राजनीति करते है।यदि राज्य सरकारें चाहती तो एक भी मजदूर इस दुर्दशा मे नहीं पहुचता । पर क्या करे किसी को उन मजदूरों का दर्द दिखाई नहीं दे रहा । आज मजदूरों की हालत देखिए पैदल चलकर उनके पैरों मे छाले पड गये , कोई भूख से बेहाल है तो कोई रास्ते मे ही दम तोड रहा है ,तो कोई मंजिल पर पहुंचने के पहले ही भगवान को प्यारा हो रहा है जितनी भी करूणा भरे किससे लिखे जाये तो वो कम है।आज...
आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम…
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आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम…

इन दिनों देश मे कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन का तीसरा दौर चल रहा है ओर चौथे दौर की तैयारी है ,उसी के तारतम्य मे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सम्बोधित करते हुए देश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र भी दिया।उनके इस मंत्र के बाद लोगों मे खासा उत्साह देखा जा रहा है। इतना ही नहीं उनका बल लोकल की ओर भी था ,लोकल का मतलव स्थानीय ओर छोटे व्यवसायी जो अपना सामान अपने आसपास ही तैयार करते है ओर कम दामों मे भी उपलब्ध करा देते है। कोरोना के इस काल मे कई महत्वपूर्ण तत्थ्य इतिहास का हिस्सा वन गये उसमे एक आत्मनिर्भर भी सम्मलित हो गया। ओर यह आत्मनिर्भरता आने बाले समय मे मील का पत्थर सावित होगा ,लोगों को रोजगार मिलेगा ,काम के प्रति लोगों मे रुचि बढेगी ,छोटे मोटे उद्योगों को बढावा मिलेगा ,सबसे बडी बात तो लोग आत्मनिर्भर बनेंगे जिससे देश के विकास मे एक बढा बदलाव आयेगा। ...
बाबा हम शर्मिंदा है,तेरे कातिल जिंदा है।
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बाबा हम शर्मिंदा है,तेरे कातिल जिंदा है।

महाराष्ट्र के पालघर की घटना को चाहकर भी नहीं भूल पा रहे है,बैसे तो भूलना भी नहीं चाहिए ,पर इस देश की हवा ऐसी है जिसमें बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं भुला दी जाती है ,जैसे लाखों हिन्दुओं को कश्मीर से रातोंरात निकाल दिया ओर देश चुपचाप देखता रहा ओर सिर्फ वही बचे जो पीढित थे आज भी कैम्पों मे रहने को मजबूर है ।किसी को कहां फर्क पडा । आज पालघर की घटना जो 16 अप्रैल को हुई थी तव से लेकर आजतक संत समाज निरन्तर मांग कर रहा है की उस घटना की सीबीआई जांच कराई जाये पर कहा कोई सुनने बाला है ,आज पूरा देश लॉकडाउन का वहाना लेकर शांत है सिर्फ अर्नव गोस्वामी ओर एक दो न्यूज चैनल इस समाचार को महत्व दे रहज है वांकी सव मौन। जव सोशल मीडिया पर उन संतो के फोटो देखते है तो लगता है हम उन संतों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे है क्योंकि उन संतों की हत्या का मास्टरमाइंड कोन है उस तक अभी पुलिस नहीं पहुंची है ओर यदि पंह...
फरिश्ता वना सरकारी तंत्र ..
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फरिश्ता वना सरकारी तंत्र ..

अक्सर सरकारी तंत्र को आम जनमानस उपेक्षा की दृष्टि से देखते रहे हैं ,ओर प्राइवेट सेवाओं पर गर्व महसूस करते रहे है पर जव भी देश मे कोई संकट आता है तो वही प्राइवेट सेवाएं अपनी सेवा से दूर भागती नजर आती है ,ओर अंतोगत्वा सरकारी तंत्र ही देवदूत वनकर खडा दिखाई देता है। ऐसा ही आज के हालात मे भी दिखाई दे रहा है जव कोराना के संक्रमण से सव अपनी सुरक्षा कि चिंता करते हुये घरों मे कैद हैं तव वही सरकारी तंत्र अपनी जान की परवाह किये बगैर देश सेवा मे सवसे आगे खडा दिखाई दे रहा है। इसमे चाहे डॉक्टर हो ,पुलिस हो , वार्डबॉय हो ,नर्सेज हो ,सफाई कर्मचारी हो ओर जो भी इस संकट के काल मे अपनी सेवा दे रहे है वो सभी सम्मान के पात्र है। ओर आज वो सभी देश के हीरो के रूप मे दिखाई दे रहे है ,जव हम एसी कमरों मे बैठे है, उस भीषण गर्मी मे भी डॉक्टर मेडिकल किट पहनकर मरीजों की सेवा कर रहे है वो पुलिस भी इस दौर मे अपनी ...