आप सवको याद होगें आशाराम बापू उम्र की दहलीज पर पहुंच कर आरोपों के भंवर मे ऐसे फसे सीधा जेल जाना पडा ।पद प्रतिष्ठा गई, करोड़ों की संपदा छिन्नभिन्न हुई ।पर सबसे ज्यादा नुकसान सनातन धर्म का हुआ यदि समय रहते कोई स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी की तरह ही उन्हें सनातन की परम्पराओं का ज्ञान करा देता तो न वो आज जेल मे होते ओर न सनातन पर कोई ऊंगली उठाता।
अंधे भक्तों ने तो उस समय भी कार्यवाही का विरोध किया था पर उस समय कोई स्वामी जी नहीं थे सीधे शासन, प्रशासन था । हमारे यहां संतों को बढा महत्व दिया गया है ,उनका सम्मान आज भी है , ओर संतों को भी आचार्य संहिता है । दुनिया में सनातन धर्म ही ऐसा है जहां सवके लिए नियम है।ओर उन नियमों से सभी बंधे है यदि नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो भगवान कोई न कोई चिदम्बरानन्द जी जैसा लाकर खडा कर देते है।
व्यासपीठ से कथा कहनेवाले सव मे भगवान की मर्जी मानते है,ओर अपने भक्तों से कहते है सव भगवान की इच्छा से ही होता है तो थोडी देर के लिए वो ये क्यों नहीं मान रहे आज जो उनके द्वारा किये गये व्यासपीठ के अपमान के लिए भगवान ने स्वामी चिदम्बरानन्द जी महाराज को माध्यम वना कर उनके सामने खडा कर दिया है ।अव वो आगे का रास्ता भगवत चरणों मे लगाएं ओर अपने अपराध के लिए उसी परमेश्वर से क्षमा मांगें।
कथावाचक का खुद का कुछ नहीं होता ,वह हमारे शास्त्रों की थाती पर अपना महल खडा करते है ओर जव वो महल ढाहत है तो सबसे ज्यादा नुकसान उस सनातन संस्कृति को होता है ,न जाने कितने अनगिनत सनातनी आहत होते है इसका अंदाजा वो कथावाचक नहीं कर सकते ओर ना ही उनके समर्थक कर सकते ।क्योंकि वो सनातनी जो न किसी कथा का अंग है ओर न किसी कथाकार की कृपा का पर जव अपनी संस्कृति पर हमला होता है तो जवाब तो उनको भी देना पढता है।
आज हम स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी के आभारी है जो व्यासपीठ की शुद्धिकरण के लिए आगे आये ओर एक ओर आशा राम जैसी फजीहत होने से बचा लिया इसके लिए उन्होंने मुरारी बापू, चित्रलेखा, ओर चिन्मयानंद जैसे संतों के भक्तों के गुस्से का दंश झेलना पढा होगा। पर आदिगुरु शंकराचार्य जी ने भी सनातन को बचाने कितने ही अपमान सहे थे पर वो सनातन का शुद्धिकरण करके ही माने।आज भले ही किसी को बुरा लगे पर इतिहास स्वामी चिदम्बरानन्द जी के योगदान को याद रखेगा।

