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अनूठा तीर्थ, जहां गिद्धों को मिलता था शिव प्रसाद का भोग
चेन्नई के चेंगलपेट्ट से 13 किमी दूर स्थित तिरूकल्लीकुण्ड्रम पक्षी तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। तिरूकल्लीकुण्ड्रम स्थित पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर अत्यंत दर्शनीय है। दूर से ही इस पर्वत की रम्यता झलकती है। तिरूकल्लीकुण्ड्रम नाम कलगु यानी गिद्धों की वजह से है। मान्यता है कि भगवान शिव के दर्शनार्थ हर रोज इस पर्वत पर गिद्धों का जोड़ा आता था। भगवान शिव को भोग लगा प्रसाद इनको खिलाया जाता था। मंदिर की बनावट तिरूवण्णामलै के अरूणाचलेश्वरर मंदिर की तरह है। इस पर्वत को पवित्र माना गया है और इसकी भी परिक्रमा की जाती है।
संरचना व इतिहास
मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवान वेदगिरिश्वरर का है। मंदिर दो हिस्सों में है। पहाड़ी की चोटी पर वेदगिरिश्वरर विराजित हैं और तलहटी में मां पार्वती की तिरूपुरसुंदरी अम्मन के रूप में पूजा होती है। तलहटी से वेदगिरिश्वरर की चढ़ाई शुरू होती है। इस भव्य मंदिर के प्रवेश द्...










