तंजानिया में हाल ही में हुए चुनावों के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने दंगों का रूप ले लिया है। इन दंगों में करीब 700 लोगों ने अपनी जान गंवा दी हैं।
पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया [Tanzania] में इस समय हालात बेहद खराब हैं। हाल ही में हुए जनरल चुनाव काफी विवादास्पद रहे, जिससे देशभर में तनाव की स्थिति पैदा हो गई। दरअसल तंजानिया में 29 अक्टूबर को राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें वर्तमान राष्ट्रपति और चामा चा मापिंदुजी पार्टी की सदस्य सामिया सुलुहु हसन ने तो चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव से पहले ही विवाद बढ़ गया क्योंकि विपक्ष के दो प्रमुख उम्मीदवारों को चुनाव ही नहीं लड़ने दिया। विपक्ष ने इसे ‘चुनाव चोरी’ करार दिया और देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो जल्द ही दंगों में बदल गए।
अब तक करीब 700 लोगों की मौत
‘चुनाव चोरी’ की वजह से तंजानिया की जनता में काफी गुस्सा है। विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा है। ऐसे में बुधवार से ही दर अस सलाम, म्वांजा, अरुशा और अन्य शहरों में हज़ारों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस के साथ ही सेना की भी तैनाती करनी पड़ी। मुख्य विपक्षी दल चाडेमा ने बताया कि पुलिस और सेना की कार्रवाई में तीन दिन में करीब 700 लोग मारे जा चुके हैं। मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। हालांकि अभी तक 700 मौतों की पुष्टि आधिकारिक तौर पर सरकार की तरफ से नहीं की गई है।
पूरे देश में लगाया गया कर्फ्यू
सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बुधवार रात से ही पूरे देश में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही इंटरनेट मोबाइल सेवाओं के ब्लैकआउट का भी आदेश दे दिया है और सेना की तैनाती को भी बढ़ा दिया है।
मीडिया पर सख्ती
तंजानिया में बढ़ रही हिंसा के बीच मीडिया पर भी सख्ती बरती जा रही है। देश की मीडिया को सेंसर किया जा रहा है और तंजानिया में मौजूद विदेशी मीडिया को भी कवरेज करने से रोकने की कोशिश की जा रही है।

