Saturday, October 18

कहानी

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कहानी – संसद हमले की

आज संसद पर हमले के पूरे 17 साल हो चुके हैं ये हमला जैश-ए-मोहम्मद के आंतकबादियों ने किया था इस हमले से पूरी दुनिया हिल गई थी करीब 45 मिनिट तक आतकंवादी संसद के अंदर रहें। ये हमला 13 दिसंबर सन 2001 को दिल्ली के संसद भवन पर हुआ था आम दिनों में जब संसद भवन के परिसर कोई सफेद रंग की एंबेसेडर आती है तो कोई ध्यान नहीं देता लेकिन उस दिन उस सफेद रंग की एंबेसेडर ने कोहराम मचा दिया। संसद भवन के परिसर में अचानक गृह मंत्रालय का कार पास लगी एक सफेद एंबेसेडर से आए 5 आतंकवादियों ने 45 मिनट तक लोकतंत्र के इस मंदिर पर गोलियों.बमों से थर्रा कर रख दिया था। आतंक के नापाक कदम उस दिन लोकतंत्र के मंदिर की दहलीज तक पहुंच गए थे। अचानक हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। संसद परिसर के अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने अचानक हुए हमले का बड़ी ही वीरता से सामना किया। लोकतंत्र के इस मंदिर में कोई आंच न आएए इसलिए उन्हों...
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120 जवानों के दम पर चीनी सेना को धूल चटा दी थी मेजर शैतान सिंह ने

सन 1962  में भारत और चीन के बीच एक भयानक युद्ध हुआ इस युद्ध में चीन ने विजय प्राप्त की थी किन्तु इस युद्ध में भारत के कुछ ऐसे वीर सिपाही भी थे जिन्होंने बर्फीली पहाडियों में चल रहे युद्ध में भी चीनी सेना के पसीने छुड़ा दिए थे आज हम बात कर रहे हैं मेजर शैतान सिंह की जिन्होंने केबल 120 सिपाहियों के साथ मिलकर चीन की नाक में दम कर दिया था | 13वीं कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी चुशुल में मौजूद एयरफील्ड की रक्षा कर रही थी. चुशुल को गंवा देने का मतलब था   लद्दाख की सुरक्षा में सेंध, साथ ही यह उस समय भारत के लिए नाक की लड़ाई बन चुका था. एयरफील्ड की सुरक्षा पर निगरानी के बीच 18 नवंबर की सुबह चीन के लगभग 5000 सैनिकों ने इस जगह पर हमला कर दिया. गौरतलब है कि चीन के 5000 से ज्यादा सैनिकों के जवाब में उस समय भारत के महज 120 सैनिक ही मौजूद थे.लेकिन दुश्मन की परवाह न करते हुए इंडियन आर्मी ने जबरदस्त आक्...
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एक नेता जिसने राम मंदिर के लिए सत्ता त्यागी, सजा भी काटी

अयोध्या विवाद कोई आज का विवाद नहीं हैं ये विवाद न जाने कितने दशको से चला आ रहा हैं अयोध्या मामले को लेकर ना जाने कितनी पार्टियों ने अपनी सत्ता की रोटी इस विवाद में सेकी किन्तु एक नेता ऐसा भी रहा इस देश में जिसने अपनी सत्ता की रोटी को न सेकते हुये सिर्फ राम मंदिर के लिए अपनी सत्ता त्याग दी राम मंदिर के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी  बीजेपी  पार्टी के  नेता कल्याण सिंह ने दी. ये बीजेपी के इकलौते नेता थे, जिन्होंने  6 दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद अपनी सत्ता को बलि चढ़ा दिया था. राम मंदिर के लिए सत्ता ही नहीं गंवाई, बल्कि इस मामले में सजा पाने वाले वे एकमात्र शख्स भी थे . 30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी. प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था. ऐसे में बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को ...
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किसान ने की गांधीगिरी तो पीएम ऑफिस ने कराई जाँच

नासिक | फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई में संजय दत्त  गांधीगिरी से ना जाने कितने लोगो की मदद करते  है ठीक ऐसा ही एक वाख्या नासिक के संजय साठे ने किया दरअसल संजय साठे की नासिक के पास   दो एकड़ जमीन है. एक एकड़ पर प्याज और दूसरे पर अंगूर की खेती उन्‍होंने की. प्याज की पैदाइश भी अच्‍छी हुई. खेती में लगभग 75 हजार रुपये खर्च आया था. अच्छी खेती होने से साठे खुश थे. लेकिन उनकी यह खुशी ज्‍यादा देर तक नहीं टिक पाई. क्यूंकि  750 किलो का प्याज लेकर वह लासलगांव प्याज की सबसे बड़ी मंडी में पहुंचे तो पता चला कि उस दिन प्याज के दाम 1 रुपये गिरे थे. लिहाजा उनको साढ़े सात क्विंटल के बदले में महज 1064 रुपये मिले. इससे आहत होकर वह सीधे पोस्ट ऑफिस पहुंचे और 1064 रुपये का मनीऑर्डर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कर दिया. जैसे ही मनी ऑर्डर पीएम ऑफिस पंहुचा तो वह  हड़कंप मच गया . आदेश आए कि घटना की पूरी जांच की जाए. ...
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लोंगेवाला की एक रात

 1971 में भारत-पाक में छिड़ी पूरी जंग का आखिरी दिन था। 4 दिसंबर की रात को भारत पाकिस्तान के रहीमयार खान डिस्ट्रिक्ट क्वार्टर पर अटैक करने वाला था। किन्हीं वजहों से भारत अटैक नहीं कर पाया, पर बीपी 638 पिलर की तरफ से आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान ने भारत की लोंगेवाला चेकपोस्ट पर अटैक कर दिया। यहां से उनका जैसलमेर जाने का प्लान था उस वक्त लोंगेवाला चेकपोस्ट सिर्फ 90 जवानों की निगरानी में थी। कंपनी के 29 जवान और लेफ्टिनेंट धर्मवीर इंटरनेशनल बॉर्डर की पैट्रोलिंग पर थे। देर शाम उन्हें जानकारी मिली कि दुश्मन के बहुत सारे टैंक एक पूरी ब्रिगेड के साथ लोंगेवाला पोस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं। उस ब्रिगेड में 2 हजार से ज्यादा जवान रहे होंगे। कुछ ही पलों बाद लश्कर का सामना भारत की सेना की छोटी सी टुकड़ी के साथ करना था। न जमीनी न हवाई किसी तरह की मदद उस दौरान मिलना संभव नहीं था। भारतीय सेना के जवान मुंहतोड़ जवाब के लिए ...
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1971 War में पाकिस्तान के हो गए थे दो टुकड़े

47 साल पहले आज के दिन यानी 3 दिसंबर 1971 को पकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था , पाकिस्‍तान का मानना था कि भारतीय सेना बांग्‍लादेश की मांग कर रहे पूर्वी पाकिस्‍तान के लोगों की न केवल मदद कर रही है, बल्कि उन्‍हें युद्ध के लिए सैन्‍य प्रशिक्षण भी दे रही है. इसी खुन्‍नस के चलते पाकिस्‍तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत पर हवाई हमला कर दिया था इस हमले में पकिस्तान ने भारत के पी-35 राडार को नष्‍ट करने में सफलता हासिल कर ली थी .पाकिस्‍तान ने इस  युद्ध  को 'ऑपरेशन चंगेज खान' का नाम दिया था 3 दिसंबर 1971 की शाम 5:30 बजे पाकिस्‍तान सरकार ने इस्‍लामाबाद से पाक वायु सेना को हमले के आदेश जारी कर दिए पाकिस्‍तान के लड़ाकू विमानों ने पहला हमला अमृतसर के एयरबेस पर किया. इसके बाद,  पठानकोट, श्रीनगर, अवंतीपुर पर हवाई हमला किया गया. इन हमलों के ठीक  बाद फरीदकोट पर पाकिस्‍तानी लड़ाकू विमानों ने बम बरसाने शुरू कर द...
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जब एक सिक्के ने बचाई जान

कारगिल वॉर के हीरो योगेंद्र सिंह यादव ने कैसे यमराज और दुश्मनों को मात देकर टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था, आज हम उनके जीवन में घटी  इस असल घटना को  बताने की कोशिश कर रहे हैं । एक पुराने टीबी  इंटरव्यू में  उन्होंने बताया की दुश्मनों से लड़ते हुए कारगिल युद्घ में विजय के बाद हिल टॉप पर तिरंगा फहराया। वक्त गुजरने के साथ यादें धुंधली हो जाती हैं। कारगिल विजय को पूरे 19 साल हो गए। कारगिल की यादें उनके जहन में आज भी जिंदा हैं। वहीं यादें उनका हौसला बढ़ाती हैं और हर मोर्चे पर ताकत देती हैं। वह कहते हैं 20 मई 1999 का दिन मैं कभी नहीं भूल सकता। तब मेरी उम्र मात्र 19 साल और नौकरी ढाई साल की थी। पांच मई को मेरी शादी थी।छुट्टियां लेकर घर आया था। 20 मई को हैड क्वार्टर से बुलावा आ गया। मेरी बटालियन को दराज सेक्टर के तोलोलिंग पहाड़ी फतह करने का टास्क मिला। तोलोलिंग पहाड़ी पाकिस्तानी फौज के कब्जे में थी।...