Wednesday, September 24

कहानी – संसद हमले की

13_12_2017-parliment_attack1आज संसद पर हमले के पूरे 17 साल हो चुके हैं ये हमला जैश-ए-मोहम्मद के आंतकबादियों ने किया था इस हमले से पूरी दुनिया हिल गई थी करीब 45 मिनिट तक आतकंवादी संसद के अंदर रहें। ये हमला 13 दिसंबर सन 2001 को दिल्ली के संसद भवन पर हुआ था आम दिनों में जब संसद भवन के परिसर कोई सफेद रंग की एंबेसेडर आती है तो कोई ध्यान नहीं देता लेकिन उस दिन उस सफेद रंग की एंबेसेडर ने कोहराम मचा दिया।
संसद भवन के परिसर में अचानक गृह मंत्रालय का कार पास लगी एक सफेद एंबेसेडर से आए 5 आतंकवादियों ने 45 मिनट तक लोकतंत्र के इस मंदिर पर गोलियों.बमों से थर्रा कर रख दिया था। आतंक के नापाक कदम उस दिन लोकतंत्र के मंदिर की दहलीज तक पहुंच गए थे। अचानक हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। संसद परिसर के अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने अचानक हुए हमले का बड़ी ही वीरता से सामना किया। लोकतंत्र के इस मंदिर में कोई आंच न आएए इसलिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी।
सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी ही वीरता से सभी आतंकियों को मार गिराया। आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवानए सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए। 16 जवान इस दौरान मुठभेड़ में घायल हुए। संसद पर हमले की घिनौनी साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त 2005 को अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 20 अक्टूबर 2006 को अफजल को फांसी के तख्ते पर लटका दिया जाए। तीन अक्टूबर 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अफजल की दया याचिका खारिज कर दी और सरकार ने उसे फांसी देकर हमले में शहीद हुए बहादुरों को सही मायने में श्रद्धांजलि दी।