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भोपाल। नौकरी के लिए अरुण, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, उच्च शिक्षा आयुक्त उमाकांत उमराव, आयुक्त नि:शक्तजन, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अफसरों से मिल चुका है, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी नेत्रहीन अरूण ने बीए, एमए, एफफिल के बाद दो बार राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास की, मोबाइल की मदद से संस्कृत की पढ़ाई की। इतना पढ़ने-लिखने के बाद नौकरी की बारी आई तो मुख्यमंत्री से लेकर अफसर तक उसे इंदौर से भोपाल के बीच धक्के खिलवा रहे हैं। कॉलेज में पढ़ाने के लिए गेस्ट फैकल्टी की मेरिट लिस्ट में नाम होने के बावजूद उसका हक मारकर सामान्य कैंडीडेट को दे दिया गया।
महू के न्यू उमरिया कालोनी में रहने वाला अरुण कुमार यादव (30) जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाला अरूण 13 सालों से मप्र में रहकर पढ़ाई कर रहा है। ब्रेल लिपि से उसने बीए, संस्कृत में एमए, एमफिल पास की। उस...