बुधवार को वर्क लोड की वजह से फैमिली कोर्ट की एक जज कोर्ट रूम में ही बेहोश हो गईं। वी. चारूहासिनी नाम की इन महिला जज को एक ही दिन में 341 केसों की सुनवाई करनी थी। वे लंच टाइम में जैसे ही उठीं, कुछ कदम चलने के बाद बेहोश हो गईं।
धवार को चारूहासिनी को 335 केसों की सुनवाई करनी थी, जबकि छह मामलों में ऑर्डर दिए जाने थे। इतना ही नहीं, चारूहासिनी को एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क भी संभालना था। एक वकील आर.वाय. जॉर्ज विलियम्स ने कहा, “ये यकीनन बेहद थकाने वाला है। मैंने अपने क्लाइंट्स से कहा कि वे अपनी छुट्टी खराब न करें। ज्यादातर केसों में सुनवाई टल रही है।” विलियम्स के मुताबिक, उन्होंने फर्स्ट बेंच के चीफ जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस टी.एस. शिवांगनम के सामने यह मामला उठाया था और उन्होंने एक्शन लेने का भरोसा दिलाया था।
18 हजार केस, चार जज, चार कोर्ट
सूत्रों के मुताबिक, फैमिली कोर्ट चेन्नई हाईकोर्ट के अंडर में आते हैं। चार फैमिली कोर्ट हैं। इनमें चार जजों की तैनाती है। 14 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के चारों जजों का ट्रांसफर कर दिया। दो जजों ने दूसरे कोर्ट में ड्यूटी ज्वाइन कर ली। एक जज छुट्टी पर चले गए। बचीं चारूहासिनी। 8 अक्टूबर से उनके ऊपर चारों कोर्ट के मामले देखने की जिम्मेदारी आ गई।