Saturday, October 25

संपादकीय

पालघर में संतों को कैसे मिलेगा न्याय ?
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पालघर में संतों को कैसे मिलेगा न्याय ?

आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था पालघर पर महाराष्ट्र सीआईडी ने कोर्ट में जो चालान पेश किया है उसमें सीधा सीधा साधुओं के साथ अन्याय है ।महाराष्ट्र में कहने को तो शिवसेना की सरकार है जो अपने आपको हिंदू वादी पार्टी कहते है ओर इनही की नाक के नीचे हिन्दू विरोधी गाथा लिखी जा रही है। बढा ही दुर्भाग्य है सरेआम साधुओं की हत्या हुई जिसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध दिखाई दे रही है इतनी भीड कैंसे इकट्ठा हो गई हजारों की तादाद मे लोग कैसे पहुंचे जवकि लॉकडाउन चल रहा था ।पर इस सवके बीच बच्चा चोर की थ्योरी पर महाराष्ट्र की सीआईडी ने कैस को मोढ दिया । यहां एक प्रश्न ओर उठता है यदि बच्चा चोर की अफवाह ही मान लें तव भी पुलिस की भूमिका संदिग्ध है उसने समय रहते उस पर संज्ञान क्यों नहीं लिया।...
सुशांत सिंह को न्याय दो ..फैंस
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सुशांत सिंह को न्याय दो ..फैंस

सुशांत सिंह ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि लोग उनसे इतना स्नेह रखते है । उनके जाने के बाद जिस तरह से प्रतिक्रिया आ रही है उससे लगता है सुशांत सिंह एक शांत नायक थे ओर उनके चाहने बाले भी शांति से उन्हें पंसद किया करते थे। उनकी असमय मौत ने ना जाने कितने चेहरे बेनकाब कर दिये। सुशांत सिंह की मौत को एक माह हो गया पर पुलिस की कछुआ चाल से अभी तक कोई ठोस न्याय की आश नहीं जगी है । सुशांत सिंह के परिजन ओर उसके चाहने बगले शासन, प्रशासन से रोज सोशल मीडिया के द्वारा निवेदन कर रहे है ।पर महाराष्ट्र पुलिस की कार्यवाही तो उसी पुलिसया लहजे मै चल रही है । उधर बॉलीवुड के कलाकार भी कुम्भकर्ण की नींद सो रहे है बात बात पर तकती लेनेवाली गैंग भी चुप है सव धीरे धीरे लॉकडाउन के बाद काम के इंतजार मै है ।उनकी वला से कोन मरता है उन्हें कोई फर्क नहीं पडता । पर ये नहीं भूलना चाहिए आज सुशांत का नम्बर है कल किसी ओर...
राजिस्थान का सियासी संकट,गांधी परिवार की महत्वाकांक्षा का परिणाम।
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राजिस्थान का सियासी संकट,गांधी परिवार की महत्वाकांक्षा का परिणाम।

उपेक्षा का परिणाम है कांग्रेस का राजनैतिक संकट ।मध्यप्रदेश के बाद राजिस्थान में भी कांग्रेस की सरकार अंतिम सांसें ले रही है । कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट के कांग्रेस से दूरी बना लेने के चलते कांग्रेस कि गहलोत सरकार अल्पमत का संकट झेल रही है। आखिर कर राजिस्थान कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट को पद से हटा दिया । अव इससे साफ हो गया है कि राजिस्थान कि कांग्रेस पार्टी दो भागों में बट गई है । राजिस्थान की कांग्रेस में चुनाव जीतने के साथ ही सियासत शुरू हो गई थी । मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान साफ देखी जा रही थी जिस तरह से मुख्यमंत्री के दावेदार सचिन पायलट को दरकिनार कर अशोक गहलोत को तरजीह दी गई थी उसी के वाद से दरार दिखाई देने लगी थी। सही मायने में यदि देखे तो गांधी परिवार कि व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा ने पार्टी के होनहार नेताओं का दमन किया है। एक से एक प्रतिभाशाली नेताओं को घर बैठने मजवू...
तो क्या अव राजिस्थान से भी कांग्रेस की विदाई हो रही है…
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तो क्या अव राजिस्थान से भी कांग्रेस की विदाई हो रही है…

जैसी की आशंका की जा रही थी मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार जाने के बाद राजिस्थान का नम्बर है वह आशंका पूरी होती दिखाई दे रही है। कांग्रेस पार्टी के युवा नेता सचिन पायलट ने कांग्रेस से बगावत कर दी है । इतना ही नहीं बताया जा रहा है वह कल भाजपा में ऐंट्री कर सकते है । राजिस्थान में जव से कांग्रेस सरकार आई है तभी से अशोक गहलौत ओर सचिन पायलट के बीच घमासान चल रही थी ।इस बात की जानकारी कांग्रेस के आलाकमान को भी थी । चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में लडा गया था ओर सत्ता मिलते ही उनकी अनदेखी की जाने लगी। सूत्र बताते है की सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री प्रियंका बाड्रा की सलाह पर वनाया गया था । खैर अव पिछली घटनाओं में जाने का समय नहीं है ।अव तो देखना यह है कि कल अशोक गहलोत ने जो विधायक दल की बैठक बुलाई है उसमें कोन कोन पहुचता है ओर जैसा कि कहा जा रहा है कि कल सचिन पायलट भाजपा की सदस...
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ये कैंसी मानसिकता ?

आज पूरे देश में विकास दुवे की ही चर्चा की जा रही है ।उसके भागने से लेकर मरने तक लोग उसी के ऊपर आरोप ओर बचाव पर अपना ज्ञान झाडने लगे है ।अव जव उसका मौत की नींद सुला दिया तो कुछ लोग उस पर भी राजनीति करने लगे है । जरा विचार कीजिए जिस दिन थाने में भाजपा नेता शुक्ला जी को मारा था उस दिन किस किसने आबाज उठाई थी । तव भी एक ब्राह्मण द्वारा दूसरे ब्राह्मण की हत्या की गई थी तव योगी जी नहीं थे । आज भी जो लोग विकास दुवे पर जाती बाली राजनीति कर रहे है ।क्या वो बता पायेंगे जिस दिन कश्मीर में आंतकवादियों ने ब्राह्मण नेता की हत्या की थी तव कहां थे । जव पालघर में साधुओं की हत्या हुई तव कहां थे। प्रियंका बाड्रा भी योगी सरकार पर सबाल उठा रही है वो बता पायेंगी पालघर में साधुओं की हत्या के समय वो कहां थी ,कश्मीर में जो पंडित की हत्या हुई तव कहां थीं । क्या भाजपा शासन का ही अत्याचार दिखाई देता है । इस...
पारासरी पुल पर चमकती स्ट्रीट लाइट
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पारासरी पुल पर चमकती स्ट्रीट लाइट

गंज बासौदा। इन दिनों शहर के मध्य से निकलने बाली पारासरी नदी के पुल चौडीकरण के तहत लम्बे समय से काम चल रहा है । काम की गति जरूर धीरे हो पर अव उस काम की प्रगति दिखाई दे रही है । हालांकि अभी तो एक साइड का ही काम की प्रगति दिखाई दे रही है । पुल पर लगी लाईट ने शहर को बढा होने का गौरव महसूस करा रहा है । पुल की प्रगति को लेकर सीएमओ सुधीर उपाध्याय की विशेष रुचि के चलते इस काम को तेजी मिल पाई है । पुल के निर्माण में कई बाधाएं थीं जिन्हें सीएमओ सुधीर उपाध्याय ने अपनी प्रशासनिक छमता से निपटाकर उन्हें दूर कर निर्माण का रास्ता साफ हो सका । अव.उस पुल पर लगी स्ट्रीट लाइट ने पुल की सुन्दरता ओर बढा दी ।...
क्या म.प्र. के नेताओं का भी संगरक्षण था पांच लाख के इनामी विकास दुवे को ?
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क्या म.प्र. के नेताओं का भी संगरक्षण था पांच लाख के इनामी विकास दुवे को ?

रहस्यमय तरीके से विकास दुवे की गिरफ्तारी उज्जैन से हुई इससे विकास दुवे के तार म.प्र. से भी जुडे दिखाई दे रहे है ।म.प्र. से विकास दुवे की गिरफ्तारी ने प्रश्न खडे कर दिये है ।क्या विकास दुवे को म.प्र. में भी राजनैतिक संगरक्षण प्राप्त था । इस हाईप्रोफाइल अपराधी को यूपी सहित देश भर की पुलिस तलाश रही थी जिस पर पांच लाख का इनाम घोषित था ।वह अचनाक महाकाल की शरण में कैसे पहुंच गया । जवकि उज्जैन महाकाल मेंं कई स्तर की जांच के बाद मंदिर तक पहुंचा जाता है । विकास दुवे की अपराध गाथा तो पूरे देश को पता चल गई पर इस अपराध गाथा के ओर कोन कोन साथी है उनका भी खुलासा होना चाहिए आखिर वो कोन नेता , अधिकारी है जो इस तरह के अपराधी को पाल रहे थे । क्योंकि बगैर राजनैतिक संगरक्षण ओर अधिकारियों की मिली भगत के बगैर विकास दुवे अपने कारनामों को अंजाम नहीं दे सकता था । जिस यरह पुलिस के लोगों की भूमिका सामने आई है...
पुलिस ओर नेताओं के गठजोड़ का परिणाम गैंगस्टर
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पुलिस ओर नेताओं के गठजोड़ का परिणाम गैंगस्टर

विकास दुवे जैसे गैंगस्टर ऐसे ही नहीं पैदा होते ये एक गठजोड़ है इसमें नेता ,पुलिस, ओर अपराधी एक सुनियोजित तरीके से अपने अपने मकसद को पूरा करने के लिए कार्य करते है । ये गठजोड़ बढा ही प्रगाढ़ होता है ।इसमे सभी अपनी अपनी भूमिका अपने अपने समय पर निभाते है। गजव के विश्वास के साथ ये गठजोड़ काम करता है। अक्सर बॉलीवुड की मूवीज में जो गैंगस्टर दिखाई देते है उसी दर्ज पर ये लोग भी बढे ही बैखौफ तरीकों से अपने कार्य को अंजाम देते है । जहां जरा सी डलती करने पर आम नागरिक सींकचों में वंद कर दिये जाते है ।वहीं ये लोग बढे से बढे अपराध करने पर भी आराम से घूमते रहते है ।यदि गलती से पकडे भी जाये तो इन्हें जेलों में भी सव सुविधाएं उपलब्ध है। जव तक ये गठजोड़ चलता रहेगा तव तक इस मानसिकता के अपराधी जन्म लेते रहेंगे । ओर ना जाने कितने निर्दोषों कि हत्या होती रहेंगीं ओर ना जाने कितने निर्दोष इनके सिकार होते रहेंगे...
न्याय की आश में सुशांत सिंह की आत्मा
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न्याय की आश में सुशांत सिंह की आत्मा

बॉलीवुड का घिनौना चेहरा सुशांत सिंह की मौत ने उजागर कर दिया है । जो बॉलीवुड देश की तमाम घटनाओं पर बात बात में हाथों मे पोस्टर लेकर सोशल मीडिया पर सक्रिय दिखाई देता था वह सुशांत सिंह की मौत पर शांत है । शायद सुशांत सिंह किसी परिवार का हिस्सा नहीं थे वो अपनी मेहनत ओर प्रतिभा की दम पर बॉलीवुड मै मुकाम हासिल करने में सफल हुये थे । भाई भतीजा बाद ओर दाऊ दादाओं से ग्रसित इस बॉलीवुड मेंं प्रतिभा की कहां जरूरत है ।यहां तो कुछ परिवार की बपौती बनीं हुई है । वो किसी साधारण परिवार को कहां सहन कर पाते है । महाराष्ट्र पुलिस की जांच प्रक्रिया पर भी लोग सबाल उठा रहे है । एक इतने बढे स्टार की मौत पर पुलिस का रबैया को लेकर उठनेवाले प्रश्नों से संदेह को बल मिलता है। बैसे भी बॉलीवुड में हुई मौतों का कोई पटाक्षेप जनता के सामने नहीं आ सका है ।इसलिए ओर प्रश्न खडे हो रहे है। आखिर सुशांत सिंह को न्याय ...
बंगलों का अतिक्रमण..
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बंगलों का अतिक्रमण..

गजब है साहब आप देश के रहनुमा है ।आप अलग अलग बंगलों में रहकर आम जन मानस की कमाई के पैसे से मौज कर सकते है । परेशान तो साहब सिर्फ आम आदमी है जो एक छात के लिए दो चार कर रहा है । दुख तो तव होता है साहब जव आप लोग सिद्धांतों की दुहाई देते है ।ओर पूरे देश को ये बताने का प्रयास करते है कि आपको देश ओर समाज की कितनी चिंता है। हम बात कर रहे है गांधी परिवार की जो अलग अलग सरकारी तीन बंगलों का इस्तेमाल कर रहे है ।एक बंगाला सोनिया गांधी का जो 15181 वर्ग मीटर का है दूसरा बंगाला राहुल गांधी का जो तकरीबन 5000 वर्ग मीटर का है ओर तीसरा बंगला प्रियंका बाड्रा का जो ढाई हजार वर्ग मीटर का है । मां बेटा साथ रह सकते है पर अलग अलग बंगला में प्रियंका बाड्रा किस हैसियत से सरकारी बंगाला में रह रही थी पता नहीं ये सव सबाल अव आम जनता पूछने लगी है। दिल्ली जैसी जगह में आप लोग अलग अलग बंगलों मे रहते है ये बात द...