Sunday, September 21

शहर में बढ़ रहा आबादी का दबाव, खेती की जमीन पर तन रही इमारतें, वाहनों की भीड़ से सिकुड़ीं सडक़ें

सिवनी.जिले की जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में संसाधन नहीं बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में जिले की जनसंख्या 17 लाख से अधिक हो चुकी है। जबकि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 13,79,131 थी। इसमें से 12,15,241 ग्रामीण और 1,63,890 शहरी आबादी थी। वहीं वर्ष 2001 में सिवनी जिले की जनसंख्या 11 लाख 67 हजार थी। यानी सिवनी जिले में वर्ष 2001 की तुलना में वर्ष 2011 में जनसंख्या में 18.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। जिले में भले ही जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन उस हिसाब से न तो उद्योग-धंधों का विकास हुआ और न रोजगार के अवसर बढ़े। शहरीकरण बढऩे से आसपास की खेती की जमीन भी घटती जा रही है।  जिससे बेरोजगारी बढ़ी है। जनसंख्या के दबाव से शहर की सडक़ों पर भीड़ व वाहनों का दबाव बढ़ा है, जिससे सडक़ें भी संकरी होती जा रही हैं। हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति जागरूक करना है।  जिले में हर साल वाहनों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2020 में 19510 वाहनों का रजिस्ट्रेशन एआरटीओ में किया गया था। वहीं वर्ष 2021 में 17638, वर्ष 2022 में 20120, वर्ष 2023 में 20044, वर्ष 2024 में 24736 वाहनों की रजिस्ट्रेशन किए गए।

बस चुकी हैं कालोनी

शहर के चारों ओर खेती की जमीन पर कॉलोनी बस चुकी है। जनसंख्या की वजह से हर चीज का बंटवारा हुआ है। लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए पेड़ों की कटाई भी बढ़ी है। जंगल घटे हैं और खेती की जमीन में कमी आई है। प्रदूषण बढऩे से कृषि का उत्पादन भी घटा है। कृषि पर करीब 75 प्रतिशत आबादी निर्भर है। खेती की जमीन खटती जा रही है और उपयोग के लिए आबादी बढ़ रही है। इससे महंगाई भी बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में चुनौतियां और बढ़ेंगी। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से खेती में बड़ी आने की सम्भावना बन रही है और बेरोजगारी भी लगातार बढ़ती जा रही हैं