Tuesday, October 28

संपादकीय

काश विहार की कमान गिरराज सिंह के हाथ मे होती।
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काश विहार की कमान गिरराज सिंह के हाथ मे होती।

काश विहार की कमान गिरराज सिंह जी के हाथ में होती । आज देश मे तेज ओर तुरंत निर्णय लेनेवाले नेताओं की आवश्यकता महसूस की जा रही है । विहार जैसे राज्य को भी एक तेजतर्रार नेता की आवश्यकता लग रही है नीतीश जी की कार्यप्रणाली में कोई कमी नहीं है पर वह हिंदुत्व ओर राष्ट्रीय मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं । ओर अव उनकी छमता का लाभ भी विहार को मिल चुका है इसलिए अव विहार के विकास के लिए एक जुझारू नेता कि आवश्यकता है । बैसे इस तरह की बात करने से नीतीश कुमार जी के समर्थक नाराज हो सकते है पर यह तो सच्चाई है परिवर्तन से ही विकास के रास्ते खुल सकते है । नीतीश बाबू को अव केन्द्र मे अपनी सेवाएं देना चाहिए ।...
सेंसर बोर्ड की भूमिका संदेह के घेरे में।
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सेंसर बोर्ड की भूमिका संदेह के घेरे में।

इन दिनों बॉलीवुड से लेकर टीवी शो भी देश की जनता के निशाने पर है आयेदिन बॉलीवुड के राज उजागर हो रहे है ।बॉलीवुड की अश्लील हरकतों से तो समाज में पहले से ही रोष था ।अव जव देश के लोगों को यह मालूम चल रहा है ।कि जिन बॉलीवुड के कलाकारों को वो आदर्श मानते थे वो तो नशेड़ी है । इसके बाद तो मानों लोगों का भ्रम ही टूट गया हो। पर बॉलीवुड अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा वो निरंतर सनातन धर्म ओर राष्ट्रवाद को निशाना बना रहा है । ओर उनके इस घिनौने मनसूबों को सेंसर बोर्ड अपनी मौन सहमति दे रहा है ये कैसे हो सकता है बगैर सेंसर बोर्ड की अनुमति के ऐसी पिक्चर य उनके सीन य फिर नाम दिखाये जायें जिससे देश का तानाबाना खराब हो य फिर किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों । इस तरह का कार्य वर्षों से किया जा रहा है ।ओर आज भी जारी है । देश के अंदर आज जो गंदगी दिखाई दे रही है । उसका सिर्फ और सिर्फ बॉलीवुड ही जिम्मेदार है ...
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गिद्धों जैसे टूट पड़े योगी पर ।

गजब की राजनीति सिर्फ मौके का ही इंतजार रहता है जैसे ही मौका मिला ओर गिद्धों की तरह टूट पढ़ते है ओर इस गिद्ध जमात में हमारे पत्रकार भी शरीक हो जाते हैं। हम यूपी की राजनीति की बात कर रहे है घटना घटी उसकी प्रक्रिया है सही है गलत है उसकी जांच होनी चाहिए पर ऐसा माहौल बना दिया जाता है जैसे एक दिन में ही न्याय हो जाये । ओर यदि तेलंगाना जैसा एक दिन में न्याय हो जाये तो वहां भी आपत्ति है । अरे भाई चाहते क्या हो कव तक अपनी दुकानें चलाओगे । जो घटना घटी है वह कहीं से सही नहीं कही जा सकती ओर जो प्रशासन की भूमिका रही वह भी सही नहीं कही जा सकती पर जो राजनीति चल रही है उसे भी सही नहीं ठहराया जा सकता । पत्रकारों का रवैया तो स्वयं न्यायाधीशों वाला हो चुका है इसलिए उनके विषय में कुछ भी कहना ठीक नहीं पर जो कुछ हो रहा है वह सिर्फ राजनीति है ओर कुछ नहीं ।...
ड्रग के सवाल पर जया लाल पीली क्यों ?
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ड्रग के सवाल पर जया लाल पीली क्यों ?

आखिर ड्रग का नाम बॉलीवुड से जुड़ते ही जया बच्चन लाल पीली क्यों हो गई ऐसा लगा जैसे उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो । किशन कुमार जी ने ड्रग का मामला उठाया जिसमें उन्होंने युवाओं के ड्रग में शामिल होने की चिंता कि साथ ही बॉलीवुड में ड्रग्स के उपयोग पर भी चिंता । उनकी इस बात से जया बच्चन ऐसे बौखला गई जैसे ये स्वयं ड्रग सप्लायर हो । वो यही नहीं रुकी उन्होंने इतना तक कह डाला जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है । इस बात से पूरा देश अचम्भित है कि यदि ड्रग माफिया के खिलाफ कार्यवाही की कोई बात करेगा तो उसके समर्थन में देश के सांसद आ जायेंगे। ये तो गलत तरीका है । आज देश में ड्रग्स बहुत बढ़ी समस्या है इस ड्रग्स ने ना जाने कितने घर उजाड़ दिए न जाने कितने मां बाप की आशाएं तोड़कर रख दी । गांव गांव तक इन माफियाओं ने अपना जाल फैला लिया है । ऐसा लगता है जया बच्चन जैसे नेता ही इसके पीछे है इसलिए ये...
क्या महाराष्ट्र की अराजकता के लिए कांग्रेस ओर शरद पवार भी जिम्मेदार नहीं ?
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क्या महाराष्ट्र की अराजकता के लिए कांग्रेस ओर शरद पवार भी जिम्मेदार नहीं ?

शिवसेना का तांडव विगत तीन माह से चल रहा है। पालघर के साधुओं की निर्ममतापूर्वक हत्या सरकार मौन , निशा सालयान की मौत सरकार मौन , सुशांत की मौत सरकार मौन , कंगना पर हमला पत्रकारों को गिरफ्तार करना ओर एक पूर्व नेवी सैनिक पर हमला करना ।इतना सव करने के बाद भी सरकार ओर सरकार के सहयोगी मौन हों तो यह प्रश्न उठना लाजिमी है ।कि आखिर सरकार ही थोडी न दोषी है उस सरकार में जितने भी सहयोगी है वो भी बराबर के दोषी है। चाहे शरद पवार हों या सोनिया गांधी । महाराष्ट्र सरकार कंगना के ऊपर हमला करती है ओर सोनिया गांधी जी चुप रहती है ये कैसी राजनीति जो सीएए के खिलाफ तो रामलीला मैदान से हूंकार भरकर देश मे अराजकता का माहौल करवा देती है ओर खुद जहां सत्ता में हैं वहां अन्याय कि कहानी लिखी जा रही है । ओर चुप रहकर सारा तमाशा देख रही हैं। शरद पवार जी आप तो उम्रदराज व्यक्ति है आपने राजनीति के कई उतारचढ़ाव देखे है क्या सत...
अरे बॉलीवुड मौन क्यों है ?
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अरे बॉलीवुड मौन क्यों है ?

आज बॉलीवुड मौन क्यों है इतनी खामोशी जव मायानगरी में अन्याय का सैलाब आया है ।चारों ओर अन्याय कि चीखें गूंज रही है ।मुंबई सहित पूरा भारत आक्रोशित है ।कहते थे की मुंबई कभी सोती नहीं है आज उसी मुंबई में रहने वाले अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान, करीना खान ,शेफ अलीखान, अनुराग कश्यप, एकता कपूर ,करण जौहर जैसे तमाम बॉलीवुड के लोगों कि खामौशी समझ से परे है । हिंदू संगठनों पर अक्सर ज्ञान झाडने बाले ये बॉलीवुड के लोग नशे कि पर्तें क्या खुली सव खामोश हो गये ।कंगना अकेली मैदान में खड़ी है ओर पूरा बॉलीवुड सोया हुआ है ।इनकी तकती कहीं दिखाई नहीं दे रही ओर न ही मोमबत्ती की रौशनी क्या ये सिर्फ हिंदुओं ओर भारत के खिलाफ ही निकलती है य फिर किसी विशेष समुदाय के लिए। क्या सुशांत के लिए न्याय मांगना गुनाह है ।पालघर में साधुओं की हत्या पर बोलना गुनाह है ओर जो वोले उस पर बदनियती ...
बेहद दुखद !
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बेहद दुखद !

आज मुझे भी स्क्रीन काली करने को मन कर रहा है। क्योंकि अक्सर वो काली स्क्रीन करके विरोध करते रहे है । आज का दिन भारत के इतिहास में फिर दर्ज हो गया वो भी उसी जयचंद की तरह जिसने हिंदू होकर हिंदू के साथ गद्दारी की थी । आज हमारा भी भ्रम टूट गया जिसे हम हिन्दू सम्राट कहते थे वह तो हिंदुओं का ही दुश्मन निकला ।हम बात कर रहे है उद्धव ठाकरे की जो एक हिंदू शेर बाबा साहब बाल ठाकरे के पुत्र है ।बाबा साहब के हिंदू चेहरे के कारण उद्धव को भी हिंदू चेहरा समझा जाने लगा था । पर सत्ता की भूख ने उस हिंदू चेहरे को बाबर के चेहरे में बदल दिया । पालघर में साधुओं की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी , निशा सालयान की हत्या कर दी , ओर सुशांत की मौत रहस्य वनी हुई है । जिस पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है ओर उसी बवाल का सच कंगना ने बता दिया तो उस पर ऐसी कार्यवाही जो सिर्फ निंदनीय है ।...
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जो नेता अपने ही शहर को पोस्टरों से बदरंग कर देते हैं उनसे विकास कि उम्मीद कैसे की जा सकती है।

देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे देश की जनता को अपने ऊपर शासन करने की जिम्मेदारी उन राजनेताओं को देनी पड़ती है जिनकी सोच सिर्फ खुदको चमकाने की रहती है ।ऐसे राजनेता नगर का विकास कैसे करेंगे । आये दिन जन्मदिनों के अवसर हों या किसी नेता का आगमन हो तो शहर को बदरंग करने कि होड सी लग जाती है ।देखते ही देखते शहर के चौक चौराहे अजीब अजीब से किस्मों कि शक्लों बाले लोगों से पाट दिये जाते है । उनकी चरण बंदना इतनी मजबूत होती है भले ही अपने पिताजी के प्रति इतनी श्रद्धा न रही हो पर नेताओं के प्रति भक्ति में कोई कमी नहीं रहती । विजली का खंबा हो या चौराहे कि रैलिंग सभी को पोस्टरों से पाट दिया जाता है । अव आप स्वयं ही बताएं ऐसे नेता क्या विकास कर पायेंगे जो स्वयं अपने शहर को गंदा कर रहे है । दुख कि बात ये है इनके बैनर पोस्टर पर प्रशासन को भी कोई परेशानी नहीं रहती वह भी मूकदर्शक वनीं देखती रहती है । ओर माननीय न...
क्या आम अपराधी से भी यही सलूक होता -सुशांत सिंह मौत
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क्या आम अपराधी से भी यही सलूक होता -सुशांत सिंह मौत

सुशांत सिंह की मौत को दो माह से ऊपर हो गये पर आज तक देश को ये पता नहीं चल सका की आखिर सुशांत सिंह के साथ हुआ कया था। मौत से लेकर आज तक सिर्फ़ मीडिया ही सच निकाल निकालकर ला रही है । इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे की एक ओर तो पुलिस साधारण आमआदमी के मामले मे थर्ड डिग्री उपयोग करके दूध का दूध ओर पानी का पानी कर वाहवाही लूटती है ।पर सुशांत के मामले में अलग ही मापदंड अपनाया जा रहा है। देश के लोग बैचेन है सच से पर्दा कव उठेगा पर जांच है की खत्म ही नहीं होती । यह सही है कि सुशांत का मामला साधारण नहीं है ।क्योंकि जिस तरह की बातें आ रही है उसमें पहले ही दिन से संशय पैदा हो रहा है ।पुलिस का रबैया भी पूरी मामले में संदेह पैदा करता रहा है । सुशांत के घर का ताला खोलने से लेकर बॉडी उतरने ओर एंबुलेंस से लेकर पोस्टमार्टम तक सभी जगह गैरजिम्मेदाराना रवैया दिखाई दिया है। पुलिस कि कार्यवाही से संतुष्ट न होने प...
बच्चों के भबिष्य से खिलबाड़ है। नीट ओर जेईई पर राजनीति।
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बच्चों के भबिष्य से खिलबाड़ है। नीट ओर जेईई पर राजनीति।

आखिर राजनैतिक पार्टियां चाहती क्या है । क्या हर बात पर राजनीति करना जरूरी है । क्या छात्रों के भबिष्य को भी राजनीति कि भेंट चढ़ाना चाहती हैं। नीट ओर जेईई कि परीक्षाओं को क्यों टलवाना चाहती हैं ।उन्हें नहीं लगता कि समय अमूल्य है वो लोटकर नहीं आयेगा । कोरोना का भय दिखाकर परीक्षा टालने बाली बात कहीं से भी तर्क संगत नहीं लगती । राजनैतिक पार्टियों कि मजबूरी कहें , मुद्दों के आभाव मे वह यह भूल ही जाते है की किस बात पर राजनीति करनी है ओर किस बात पर नहीं । इसीलिये विवाद की स्थिति निर्मित होती है ओर बात बात में सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते है । अव नीट ओर जेईई की परीक्षा को ही ले लीजिये इसे न कराने के लिए कितने तरह के तर्क दिए जा रहे है ओर कोरोना का भय दिखाया जा रहा है ।जबकि दारु की दुकान से लेकर कई तरह की सेवाओं को संचालित किया जा रहा है ।कहने का मतलब यह है कि छात्रों के भबिष्य को भी राजनैतिक ल...