Sunday, October 19

देश की सेना को सहमति के साथ सहयोग देना जरूरी है

भोपाल। जम्मू कश्मीर के शोपियां फायरिंग में मेजर के खिलाफ जांच पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने एक उम्दा मिसाल पेश की है। क्योंकि जिस हालात में भारतीय सेना के जाबांज सिपाही देश की सरहदों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है, उससे प्रतीत होता है कि देश की सेना को जन समर्थन मिलना आवश्यक है। जब तक देश की जनता सेना का समर्थन करती रहेगी। सेना देश की रक्षा करती रहेगी। ऐसे में देश की संस्थाओं को चाहे वे न्यायिक क्षेत्र से जुड़ी हो, राजनीतिक क्षेत्र से संबद्ध हो सभी का भारतीय सेना को न केवल समर्थन बल्कि सहयोग मिलना चाहिए। कम से कम देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस पहल को आगे बढ़ाया है। देश का संविधान और कानून आम नागरिक को भी आत्म रक्षा में अहिंसक कदम उठाने की अनुमति देता है और व्यक्ति का कसूर अपराधी की श्रेणी में नहीं गिना जाता है। फिर देश की सेना तो देश के संविधान भारतमाता की रक्षा के लिए ही हर कदम उठाती है। ऐसे में सेना को कठघरे में खड़ा करना खतरनाक कदम हो सकता है। वहीं राजनीतिक या विचारधारा के नजरिए में बंटकर मामले को देखना सुखद लक्षण नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिस तरह शोपियां फायरिंग में मेजर के खिलाफ जांच पर रोक लगाकर इस तरह की पहल की है। जो सराहनीय तो है ही साथ ही अनुकरणीय भी है।