Sunday, October 19

राजनीतिक शान डूबी नौनिहालों की जान कब तक मिलेगा ऐसे लोगों का सबक

भोपाल। बिहार में राष्ट्रीय दल का झंडा लगाकर शराब के नशे में वाहन चलााने वाले कतिपय कार्यकर्ता और नेता ने स्कूल वाहन को इस कदर टक्कर मारी कि नौ नौनिहाल जीवन जीने से पहले ही काल कवलित हो गए। अब बहस किसका दोष है की जा सकती है। लेकिन जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को भविष्य के सपने बुनने और देश के लिए अच्छा नागरिक देने के लिए स्कूल भेजा था। उनके ह्रदय पर गहरा आघात लग गया है। जिसकी पूर्ति उनके इस जन्म तो पूरी होगी नहीं।
देखने वाली बात यह है कि जिस राज्य बिहार में जहां पूरी तरह शराब बंदी है, वहां नेता जी को न केवल शराब मिली बल्कि शराब के नशे में वाहन चलाने की छूट भी मिल गई। बेतिहासा रफ्तार से भागते चार पहिया वाहन ने नौ बच्चों को कुचल कर कई घरों में मातमी माहौल बना दिया। अब भले ही इस बात पर बहस हो कि गाड़ी पर झंडा से लेकर दल विशेष की तख्तियां क्यों लगा रखी है। सवाल यह है कि पूरी तरह सुशासन की दुहाई देने और पूर्ण शराब बंदी वाले राज्य में लोगों को आखिर शराब कहां से मुहैया हो रही है। क्या इस पर चिंतन होगा। यदि नेताओं को मिल रही है तो कार्यकर्ताओं को भी मिल रही होगी। यदि धनाढय लोगों को मिल रही है शराब तो उन गरीबों को जो खाने और जीवनचर्या पर पैसा खर्च न कर शराब पर पैसा खर्च करना लाजिमी समझते है, उन्हें भी मिल रही है। फिर शराब किन राज्यों किन माफियाओं से आ रही है। यह सवाल उठने लगे है। क्या नीतिश बाबू इस पर चिंतन करते हुए पूर्ण शराब बंदी को अमल में ला पाएंगे। ताकि आगे शराब के कारण अन्य लोगों की जीवन से खिलवाड़ को रोका जा सके। वैसे भी राजनीतिक शान किसी शराब से कम नहीं होती है, राजनीतिक रसूख वाले और रसूख की मन्नत मांगने वाले तो हर राज्य में हर दल में चिपके हुए है। इन पर प्रतिबंध कब तक लगेगा।