Sunday, October 19

आखिर क्यों- स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए मदद नहीं लोककल्याणकारी राज्य का यह धर्म नहीं है

भोपाल। एक खबर सुनने में आई है कि भारतीय चिकित्सा परिषद एमसीआई द्वारा विदिशा सहित अन्य सातों मेडीकल कॉलेजों को आर्थिक मदद देने से इंकार कर दिया है। जब उद्योग जगत के जानी मानी हस्तियां बैंकों से करोड़ो हजार रूपया लोन के रूप में लीलकर डकार भी नही ंले रहे है ऐसे में लोकतंत्र की पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य और शिक्षा  पर खर्च करना सरकारों को कठिन लगा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में  जनता को सरकारे क्या देती है, पहली शिक्षा, दूसरा स्वास्थ्य और तीसरी सुरक्षा और बाकी विकास के नाम पर निर्माण कार्य उपलब्ध कराती है। बाकी चीजों में वह सबकुछ बसूल ही लेती है। लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर वह बसूली नहीं कर पाती है। टैक्स के रूप में जो पैसा सरकारे जनता से बसूलती है, उसे जनता तक पहुंचाने में आनाकानी क्यों। क्या गरीब और आम मध्यम वर्ग के लोगों को शिक्षा स्वास्थ्य और सुरक्षा पाने का अधिकार नहीं है। हाल ही भारतीय चिकित्सा परिषद ने जिस प्रकार विदिशा सहित अन्य मेडीकल कॉलेजों के आंरभ करने में वित्तीय सहयेाग से इंकार किया है। उससे प्रतीत हो रहा है कि भारतीय सरकारे अब लोक कल्याण कारी राज्य में नहीं बल्कि अमेरिका के पूंजीवादी सरकारों का दायित्व निभा रही है। जो केवल उद्य़ोग जगत को ही मदद पहुंचाने मे ंअपनी सफलता मान रही है। यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति निर्मितहो रही है। क्या इस पर बहस और चिंतन की जरूरत नहीं है।