भोपाल। इस साल केन्द्र सरकार ने डीएलईडी यानि प्रायमरी कक्षाओं के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की पात्रता डिग्री मुहैया कराने का काम शुरू किया है। जिससे शिक्षक बनने के लिए डिग्री प्राप्त करने के लिए व्याकुल युवा वर्ग की निराशा कम होगी। साथ ही कम लागत में अधिक मजा लेने का लाभ गरीब युवा उठा पाएंगे। इसी के साथ मोटी कमाई के लिए संचालित बीएड और डीएड कॉलेज संचालकों की आंखों में भविष्य को लेकर निराशा का धुंआ चुभने लगा है। इन लोगों की आशंका है कि आगामी वर्ष में प्रायवेट डिग्री बांटों केन्द्रों को एडमीशन मिलने के कारण बंद करना पउ़ेगा। जिससे उनकों लाखों करोड़ों का नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले कई सालों से सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती में आवश्यक रूप से डीएड बीएड की डिग्री को मान्यता देने की घोषणा की थी। शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले युवाओं में बीएड और डीएड डिग्री के प्रति रूझान तेज हुआ था। जिसके चलते निजी स्तर पर संचालित बीएड डीएड कॉलेजों की जैसे चांदी ही हो गई थी। हर कॉलेज अपने स्तर पर बोलियां लगाकर डीएड बीएड कराने की गारंटी ले रहा था। कहीं पर काम करने वाले युवा लाखों रूपया खर्च कर बीएड डीएड की डिग्री पाने के लालच में गुमराह होते रहे है।
यदि हम प्रदेश में इन पात्रता धारियों का आंकलन करे तो प्रदेश में इन दिनों शिक्षक पात्रता वाली बीएड डीएड डिग्री धारियों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। ऐसे में प्रायवेट कॉलेजों पर ताले लगने का डर सताने लगा है। क्योंकि शासन अब प्रदेश में चार साल का बीएड बीए स्नातक डिग्री शुरू करने वाली है। जिससे भी प्रायवेट कॉलेजों को मोटी फीस मिलने की संभावना पर विराम लगने वाला है।
लेकिन सरकार २०१२ में आयोजित संविदा शिक्षक भर्ती के बाद आज तक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न न करा सकी। अलबत्ता कम संख्या वाले सैकड़ों स्कूलों को इस दरमियान बंद कर दिया है। आगामी दिनों मे ंसंविदा शिक्षकों की भर्ती व्यापमं के जरिए सम्पन्न होगी। जिसमें लाखों युवा संविदा शिक्षक बनने के लिए व्यापमं को बड़ी परीक्षा फीस भेंट करेंगे। फिर चुनावी साल में शिक्षकों की भर्ती में चुनावी गणित अड़चनें पैदा करेंगे। मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चोहान ने बोट बैंक की कवायद शुरू कर दी है। इस दौरान उनकी दो घोषणाएं खासकर ध्यान देने वाली है कि एससी, एसटी वर्ग के छात्रों को बीएड डीएड डिग्री की अनिवार्यता नहीं होगी। दूसरी अतिथि शिक्षकों के लिए पच्चीस प्रतिशत पद आरक्षित किए जाएंगे। ऐसे में वर्षो से शिक्षक बनने की आस लिए लाखों योग्य समस्त डिग्रीयों और परीक्षा में पर्याप्त योग्यता वाले पिछड़ जाएंगे। संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के बाद उन डिग्रीधारियों का जिन्होंन ेलाखों रूपए खर्च कर डिग्रीयां ली है, उनका क्या होगा।