Sunday, October 19

सड़क हादसों में प्रदेश अव्वल, नहीं थम रहीं है सड़क पर मौते सवाल- कैसे रोके मौतों का सिलसिला

भोपाल।  बुधवार को जबलपुर के बारेला में बेकाबू ट्रक ने दुकानों मकानों को रोंदते हुए कई लोगों की जीवन लीला समाप्त कर दी है। भीड़ ने पुलिस वैन को जलाकर अपने गुस्से का इजहार कर लिया है। अब पुलिस ड्रायवर पर वाहन चालक एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तारी करेगी। कुछ ही दिनों वाहन का मालिक बिना किसी नुकसान के मुक्त होकर फिर दूसरे या उसी ड्रायवर के भरोसे अपने वाहनों को कमाई के लिए उतार देगा। लेकिन जिन परिवारों में ड्रायवर की लापरवाही, शराबखोरी या आशिक मिजाजी के चलते वाहन अनियंत्रित होकर लोगों की जान ले लेते है। उनके हिस्से में तो केवल परिवार के सदस्यों की संख्या कम होना ही लिखा है। कई परिवारों के मुखिया खत्म होने से रोजगार खत्म होता है। कई बच्चों के महिलाओं के निधन से परिवार को प्रेम और आश्रय का सुख खत्म होता है। कई परिवार धन संपत्ति को नुकसान पहुंचने के कारण मुहावजे की आस करने लगते है। लेकिन खबर लिखे जाने प्रदेश की किसी न किसी सड़क पर कोई न कोई वाहन, कोई न कोई ड्रायवर किसी की जान लेने के लिए निकल चुका होगा। अगले दिन एक ओर अखबार की हेडलाइन, टीवी चैनलों के दो चार मिनिट के फुटेज आप देख रहे होंगे। लेकिन सवाल उठ रहा है कि इन हादसों को रोकने के लिए सरकारें, समाजसेवी संस्थाएं खासकर जो सरकारी माल पर योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर हाथ साफ कर रही है, आखिर क्या कर रही है। इस पर आज तक चिंतन क्यों नहीं हो रहा है। प्रदेश की लोकप्रिय सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से लेकर उनकी केविनेट, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि, लोकतंत्र को चलाने वाली लोकशाही, समाज में घटनाओ ंका इंतजार कर सेवा करने की आस लिए समाजसेवी घटनाओं को रोकने की कवायद में कुछ नहीं कर रहे है।
जागरूकता और शराबबंदी- पहला कदम तो छात्रों के स्तर से लेकर ग्रामीण और शहरी स्तर पर लगातार वाहन चलाने और सड़क को अपनी बपौती न समझने की सीख देना आवश्यक है। केवल झंडा वेनर लेकर फोटोग्राफी कराने से कुछ नहंी होगा। इससे सरकारो, पुलिस और समाज चिंतकों को भी बचना चाहिए। वहीं अक्सर वाहनों के हादसों में ड्रायवर के शराब पीकर चलाने का जिक्र होता है। लेकिन प्रदेश में आज तक शराब बंदी की दिशा में चिंतन नहीं किया जा रहा है। एक ओर सरकारे शराब के नशे से दूर रहने के लिए विज्ञापनों के जरिए जागरूता लाती है। वहीं हर गांव हर मोहल्ले तक शराब पहुंचाने के इंतजाम भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से करती रहती है। इससे तो हादसों का ग्राफ कम होने से रहा। जमीनी स्तर पर बाइक से लेकर चार पहिया वाहन ट्रक डम्पर और बसों के संचालन यानि ड्राइविंग करने वालों को ्रपशिक्षित, सड़क के हिसाब से गति की समझ रखने, इसके अलावा वाहन चालन किसी प्रकार की शान की सवारी नहीं बल्कि आवश्यक जिम्मेदारी है। इस बात को समझना होगा। हाईवे से लेकर सड़कों किनारे सरकारी रहमोकरम पर चल रहे शराब दुकानों पर वैन लगाने की जरूरत है। ताकि ड्रायवरों को आसानी से मुहैया न हो सके। वाहन चलाने के लिए ड्रायवर लगातार न जागे इसके लिए आश्रय स्थलों की व्यवस्था की जानी जरूरी है। वाहनों की नियमित पड़ताल से यांत्रिक कमियों को समय रहते पूरा किया जा सकता है।