Monday, September 22

रायपुर प्रदेश के निजी अस्पतालों में आईसीयू के नाम पर भी खेल हो रहा है। ये कैसा आईसीयू है, जहां न वेंटिलेटर है और ना ही ट्रेंड नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ।

छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश के निजी अस्पतालों में आईसीयू के नाम पर भी खेल हो रहा है। ये कैसा आईसीयू है, जहां न वेंटिलेटर है और ना ही ट्रेंड नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ। यहां तक की वेंटिलेटर चलाने के लिए इंटेविस्ट (एनेस्थेटिस्ट) तक नहीं है। फुलटाइमर डॉक्टर भी नहीं होते।

फिर भी ऐसे अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के तहत हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है? ये बड़ा सवाल है कि नर्सिंग होम एक्ट व आयुष्मान भारत योजना में पंजीयन के पहले अस्पताल का निरीक्षण करने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम क्यों आंख मूंदकर अस्पतालों को मान्यता दे रही है। जानकारों का कहना है कि इसमें अस्पताल संचालकों व अधिकारियों की मिलीभगत है। कम सुविधा व डॉक्टरविहीन अस्पतालों के आईसीयू क्लेम भी आसानी से अप्रूव किया जा रहा है। हालांकि यदा-कदा ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन यह नाकाफी है।दरअसल, ऐसे आईसीयू में भर्ती मरीजों को किस तरह की मेडिकल फेसिलिटी मिलती होगी। जिन  मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत भी होती होगी, उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। ऐसे में मरीज की जान पर खतरा हमेशा बना रहता है। जब मरीज गंभीर रहता है, तब उन्हें रेफर किया जाता है। ऐसे में कई मरीजों की मौत भी हो जाती है।