Friday, November 7

मुंबई में मिर्जापुर जैसा रेल हादसा, तीन महिलाओं समेत 5 यात्रियों को ट्रेन ने रौंदा

रेलवे कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के चलते मुंबई लोकल ट्रेन सेवाएं ठप पड़ गई, जिसके बाद पटरियों से जा रहे चार से पांच यात्रियों को लोकल ट्रेन ने टक्कर मार दी।

मुंब्रा रेल हादसे में जीआरपी ने अपनी प्रारंभिक जांच के आधार पर रेलवे के दो इंजीनियरों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया। इस कार्रवाई से नाराज होकर गुरुवार शाम में रेलवे कर्मचारियों और इंजीनियरों के संघ ने अचानक आंदोलन शुरू कर दिया। इस विरोध प्रदर्शन का असर मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन सेवा पर पड़ा।

इस विरोध प्रदर्शन के चलते सेंट्रल व हार्बर लाइन की लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं। सीएसएमटी (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) स्टेशन पर कई ट्रेनें खड़ी रहीं और हजारों यात्री घंटों तक प्लेटफॉर्म पर फंसे रहे। मोटरमैन और तकनीकी कर्मचारी भी प्रदर्शन में शामिल हुए, जिसके कारण लोकल सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं। इस अचानक हुए बंद से लाखों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

कैसे हुआ हादसा?

पीक आवर्स में मोटरमैन व अन्य रेल कर्मचारियों के काम रोकने से लोकल सेवाएं थप पड़ गयी। घंटे भर से ज्यादा समय तक ट्रेनों के नहीं आने से स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो गई। हजारों यात्री विभिन्न ट्रेनों में फंस गए। ऐसे ही एक लोकल ट्रेन में फंसे कुछ यात्रियों ने रेलवे ट्रैक से चलकर नजदीकी स्टेशन तक जाने का फैसला लिया। तभी उन्हें लोकल ट्रेन ने टक्कर मार दी। इस हादसे में तीन लोगों की मौत होने की खबर है।

हादसे के बाद रेलवे पुलिस ने पांच पीड़ित यात्रियों को इलाज के लिए जेजे अस्पताल पहुंचाया। यह दुर्घटना मुंबई के सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन  के पास हुई। बताया जा रहा है कि रात करीब 7 बजे तीन पुरुष और एक महिला ट्रैक पर चल रहे थे, तभी पीछे से आ रही अंबरनाथ लोकल ने उन्हें टक्कर मार दी। अस्पताल लाए गए पांच लोगों की पहचान याफिजा चोगले (62), कैफ चोगले (22), हेली मोहमाया (19), खुशबू मोहमाया (45) के रूप में हुई है और पांचवें व्यक्ति की पहचान अभी नहीं हो पाई है।

इससे पहले बुधवार को यूपी के मिर्जापुर के चुनार रेलवे स्टेशन पर ट्रैक पार कर रहे 6 महिलाओं की ट्रेन से कटकर मौत हो गई है। ये श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने पहुंचे थे और ट्रेन से गलत दिशा में उतरने के बाद कालका-हावड़ा ट्रेन की चपेट में आ गए

रेलवे कर्मचारियों की क्या मांगे?

रेलवे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि मुंब्रा ट्रेन दुर्घटना की जिम्मेदारी सिर्फ तकनीकी कर्मचारियों की नहीं है। बल्कि पूरे सिस्टम की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जाने चाहिए। हालाँकि रेलवे प्रशासन ने तुरंत यूनियन प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू की। पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की और कर्मचारियों को समझाया कि जांच निष्पक्ष होगी तथा दोषियों पर ही उचित कार्रवाई की जाएगी। लंबी बातचीत और आश्वासन के बाद शाम करीब 6:45 बजे से सीएसएमटी से लोकल ट्रेनों की आवाजाही धीरे-धीरे बहाल कर दी गई।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि मुंबई से सटे ठाणे जिले के मुंब्रा स्टेशन के पास इसी साल 9 जून की सुबह हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे शहर को झकझोर दिया था। यह हादसा दिवा और मुंब्रा रेलवे स्टेशन के बीच उस समय हुआ, जब कसारा और CSMT की ओर जाने वाली दो लोकल ट्रेनें एक तीव्र मोड़ पर एक-दूसरे को पार कर रही थीं। इस दौरान ट्रेन के दरवाजे पर खड़े कुछ यात्रियों के बैग बाहर निकले हुए थे, जो दूसरी ट्रेन में सवार यात्रियों के बैग या शरीर से टकरा गए। इसके कारण कई यात्री ट्रेन से पटरी पर गिर पड़े। इस दर्दनाक घटना में पांच यात्रियों की मौत हो गई, जबकि आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने जांच शुरू की, जिसमें ट्रैक के रखरखाव और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की बात सामने आई। जांच रिपोर्ट के आधार पर 1 नवंबर को सहायक मंडल इंजीनियर विशाल डोलास, वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर समर यादव और अन्य संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ लोहमार्ग थाने में लापरवाही का मामला दर्ज किया गया।