Tuesday, September 23

सेना के पास 20 दिन से ज्यादा लड़ने के लिए गोला-बारुद नहीं– कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक)

army_1431136906नई दिल्ली. कैग ने सेना में गोला-बारूद के प्रबंधन के मुद्दे पर भी गंभीर सवाल उठाए। संसद में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, सेना में गोला-बारूद की कमी एक गंभीर समस्या है। इससे सेना की युद्ध के लिए तैयार रहने की क्षमता प्रभावित हो रही है। कम से कम 40 दिन का गोला-बारूद होना चाहिए था। लेकिन मार्च 2013 में जब समीक्षा हुई तो 50% गोला-बारूद 10 दिन से भी कम के लिए था। और अलग-अलग तरह के गोला-बारूद की उपलब्धता सिर्फ 10% थी। अगर 15 से 20 दिन लड़ने की नौबत आ जाती है तो सेना मुकाबला नहीं कर सकेगी। कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की।

कैग ने कहा- लड़ाकू विमान तेजस वायुसेना की उम्मीदों पर खरा नहीं
कैग के मुताबिक, हल्का लड़ाकू विमान तेजस वायुसेना की उम्मीदों पर खरा साबित नहीं हो रहा है। इसके मार्क-1 वर्जन में 53 खामियां हैं। इसका असर संचालन व निगरानी क्षमताओं पर पड़ रहा है। वायुसेना के पास ट्रेनर विमान नहीं है, इससे ट्रेनिंग भी प्रभावित होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, जगह की कमी की वजह से तेजस में सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर जैसी इलेक्ट्रॉनिक युद्धक क्षमता भी नहीं है। रडार वार्निंग रिसीवर/काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम का प्रदर्शन भी जनवरी तक उम्मीदों के अनुरूप नहीं था। मार्क-1 की खामियां मार्क-2 में दूर की जा सकती हैं। लेकिन इसके लिए दिसंबर 2018 तक इंतजार करना होगा। रिपोर्ट में कहा है कि तेजस की सप्लाई में देरी की वजह से वायुसेना को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है। मिग बीआईएस, मिग-29, जगुआर व मिराज विमानों को अपग्रेड करना पड़ रहा है। मिग-21 विमानों को सेवा से हटाने की योजना को नए सिरे से बनाना पड़ रहा है। इस पर 20,037 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
नाम का स्वदेशी, उपकरण तो अब भी विदेशी 
डीआरडीओ– तेजस को हमेशा स्वदेशी विमान बताता है। दावा करता है कि उसमें 70% सामग्री भारत में ही बनाई गई है। लेकिन कैग के मुताबिक जनवरी तक सिर्फ 35% सामग्री ही भारत में बनी थी। कावेरी इंजिन, मल्टी-मोड रडार जैसी कुछ तकनीक भारत में विकसित होनी थी, लेकिन इसमें अब तक नाकामी ही हाथ लगी है। इससे तेजस में इस्तेमाल सामग्री के लिए आयात पर निर्भरता रहेगी।
विशेषज्ञों का दावा- अभी और होगी देर 
वायुसेना की जरूरत 220 हल्के लड़ाकू विमानों की है। इसके अलावा 200 लड़ाकू विमान और 20 ट्रेनर विमान। तेजस को शुरुआती संचालन मंजूरी दिसंबर 2005 में मिलनी थी, जो दिसंबर 2013 में मिली। पूर्ण संचालन मंजूरी दिसंबर 2008 में मिलनी थी, जो इस साल दिसंबर तक मिलने के आसार हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि और देर भी हो सकती है