झाबुआ/कल्याणपुरा. हाथों पर गुदवाए परिजन के नाम, ढोल-मांदल की थाप पर मचाई धमाल, कुर्राटी मारकर झूमे सभी और रंग गए भगोरिया के रंग में। लड़कों ने पान खिलाकर लड़कियों को रिझाने का प्रयास किया। जवाब में कोई लड़की शर्माई तो किसी ने बेबाक अंदाज से लड़कों को जवाब दिया। युवतियों ने सौंदर्य प्रसाधन व आभूषणों की खरीदारी की। बुधवार को लगे हाट बाजार में कुछ यही नजारा दिखाई दिया। ढोल-मांदल की थाप के साथ डीजे की धुन पर आदिवासी नाचते-गाते दिखाई दिए। भगोरिया हाट में पैर रखने तक की जगह नहीं थी।स स्टैंड से लेकर मेला स्थल तक के हिस्से में कई जगह युवतियां हाथों पर नाम गुदवा रही थीं। झूलों पर भी भीड़ देखने को मिली। पूरा गांव भगोरिया की मस्ती में डूबा नजर आया। हाट बाजार में होटलों पर जलेबी, मिर्ची के भजिए लेने के लिए भीड़ रही। आदिवासी खूमसिंह का कहना था हाट बाजार में जलेबी-भजिए नहीं खाए तो मजा नहीं आता। चिलचिलाती धूप व बढ़ते तापमान के बीच सूखे कंठ को मौसंबी व अंगूर ने कुछ राहत दी।
झाबुआ से 10 किमी दूर ग्राम ढेकल में भी बुधवार को भगोरिया हाट लगा। पारंपरिक परिधानों में लकदक आदिवासी युवक-युवतियों ने झूले-चकरी का लुत्फ उठाया। सुबह से शाम तक गांव उत्साह की कुर्राटियों से गूंजता रहा।