Tuesday, September 23

ज्वार के दाने भूनकर खाने से मर जाते हैं पेट के कीड़े

2__1425286121 mmm_1425286110ज्वार एक देसी अनाज है जिसकी खेती भारत के अनेक राज्यों में की जाती है। इसके कोमल भुट्टों को भूनकर भी खाया जाता है। वैसे ज्वार बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है और इसमें अनेक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। आदिवासी ज्वार की रोटी बड़े चाव से खाते हैं। ज्वार का वानस्पतिक नाम सौरघम बायकलर है। देसी अनाज के तौर पर अपनाने के अलावा आदिवासी इसे हर्बल नुस्खों के लिए भी अपनाते हैं। चलिए आज जानते हैं ज्वार के औषधीय गुणों के बारे में।पेट के कीड़े मरते हैं

आदिवासी ज्वार के दानों को भूनकर रात सोने के समय बच्चों को करीब 2 ग्राम मात्रा नमक के साथ मिलाकर चबाने की सलाह देते हैं। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार यह पेट के कीड़ों को मार देता है।
पेट की जलन कम
डांग के आदिवासी भुनी हुई ज्वार को ज्वार के साथ खाने की सलाह देते हैं। इससे पेट की जलन कम हो जाती है।
अन्य फायदे:
जलन दूर होती है
ठंडक मिलती है
मासिक धर्म के विकार नष्ट होते हैं
एसिडिटी में आराम
प्यास लगना बंद हो जाती है
पीलिया के दुष्प्रभाव कम होते हैंनोट- ज्वार के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहे हैं डॉक्टर दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से ज़्यादा भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।