Monday, September 22

क्या कश्मीर में ठगा गया है हिन्दू

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आजादी के बाद से ही कश्मीर को लेकर भारत सरकार का रवैया संतोषजनक नहीं रहा। आजादी के बाद जिस तरह से भारत सरकार ने तत्कालीन राजा हरिसिहं को समय पर मदद न पहुचाकर पाकिस्तान को हमला करने का मौका दिया और उसके बाद शेखअबदुल्ला को वहां की सत्ता सौंपी, इतना ही नहीं तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने कश्मीरियों के साथ छलावा करते हुए उसमें धारा 370 का पेंच फंसा दिया और इस पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बगैर किसी दबाब के स्वयं ही ले जाकर उलझा दिया ।
01 मार्च 2015 को भारतीय जनता पार्टी ने मुप्ती मोहम्मद सईद के साथ मिलकर जो सरकार बनाई है उससे कश्मीरी हिन्दूओं के साथ पूरे का हिंदू समाज ठगा सा महसूस कर रहा है,क्योंकि लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में धारा 370 को हटाने की वकालात की थी, साथ ही कश्मीरी पंडितों को भी पुर्नस्थापना की बात की थी। पर वर्तमान में सत्ता का जो खेल खेला गया उसमें न तो धारा 370 का जिक्र है और न ही कश्मीरी पंडितों के पुर्नवास की कोई बात है, आपको बतादें की यह वही मुफ्ती मोहम्मद सईद हैं जिसने सत्ता में रहते अपनी लड़की के अपहरण के वक्त आतंकवादियों को छोड़ा था। साथ ही मुख्यमंत्री बनते ही सईद ने आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तान की तारीफ करते हुए निर्भीक चुनाव होने के लिए धन्यवाद दिया। इससे भारतीय जनता पार्टी पर दोहरा मापदंड अपनाने के आरोप लगने लगे हैं और हिंदू समाज कहीं न कहीं आहत भी दिखाई दे रहा है, क्योंकि कश्मीर में मुसलमानों के प्रति मोदी के प्रेम से न तो पार्टी को कुछ हासिल हुआ है और न ही देश को भले ही यह हमारी राजनैतिक कम समझ हो सकती है पर सच तो यही हेै कि जिन कश्मीरी मुसलमानों को मोदी सरकार ने बुरे वक्त पर साथ देकर बाढ़ से बचाया था उन मुसलमानों ने मोदी के लिए एक सीट भी नहीं दी।
अरबों रूपए के पैकेजों से कश्मीर का भला चाहने वाली केन्द्र सरकार सिवाए हिंदुस्तानियों की गाढ़ी कमाई से सिर्फ दूध पिलाते दिखाई दे रहे हैं। और कश्मीरी जब भी उगलते हैं तो जहर ही उगलते हैं, हो सकता है यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति का कौन सा रूप है पर बरसों से शरणार्थी केम्पों में रह रहे कश्मीरी पंडितों के दिल से पूछिए कि उन्हें मोदी के रूप में एक आशा की किरण दिखाई दी थी वह भी धूमिल होती दिख रही हैं, देखना अब यह है कि हिन्दुत्व की पैरोकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य संगठन इसे किस रूप में देखते हैं पर इतना साफ है कि मुख्यमंत्री की गद़दी संभालते ही मुफ्ती ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी का यह वर्ग विशेष पर यह प्रेम देश के लिए कहीं घातक सिद्ध न हो प्रदीप

 

 

 

आजादी के बाद से ही कश्मीर को लेकर भारत सरकार का रवैया संतोषजनक नहीं रहा। आजादी के बाद जिस तरह से भारत सरकार ने तत्कालीन राजा हरिसिहं को समय पर मदद न पहुचाकर पाकिस्तान को हमला करने का मौका दिया और उसके बाद शेखअबदुल्ला को वहां की सत्ता सौंपी, इतना ही नहीं तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने कश्मीरियों के साथ छलावा करते हुए उसमें धारा 370 का पेंच फंसा दिया और इस पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बगैर किसी दबाब के स्वयं ही ले जाकर उलझा दिया ।
01 मार्च 2015 को भारतीय जनता पार्टी ने मुप्ती मोहम्मद सईद के साथ मिलकर जो सरकार बनाई है उससे कश्मीरी हिन्दूओं के साथ पूरे का हिंदू समाज ठगा सा महसूस कर रहा है,क्योंकि लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में धारा 370 को हटाने की वकालात की थी, साथ ही कश्मीरी पंडितों को भी पुर्नस्थापना की बात की थी। पर वर्तमान में सत्ता का जो खेल खेला गया उसमें न तो धारा 370 का जिक्र है और न ही कश्मीरी पंडितों के पुर्नवास की कोई बात है, आपको बतादें की यह वही मुफ्ती मोहम्मद सईद हैं जिसने सत्ता में रहते अपनी लड़की के अपहरण के वक्त आतंकवादियों को छोड़ा था। साथ ही मुख्यमंत्री बनते ही सईद ने आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तान की तारीफ करते हुए निर्भीक चुनाव होने के लिए धन्यवाद दिया। इससे भारतीय जनता पार्टी पर दोहरा मापदंड अपनाने के आरोप लगने लगे हैं और हिंदू समाज कहीं न कहीं आहत भी दिखाई दे रहा है, क्योंकि कश्मीर में मुसलमानों के प्रति मोदी के प्रेम से न तो पार्टी को कुछ हासिल हुआ है और न ही देश को भले ही यह हमारी राजनैतिक कम समझ हो सकती है पर सच तो यही हेै कि जिन कश्मीरी मुसलमानों को मोदी सरकार ने बुरे वक्त पर साथ देकर बाढ़ से बचाया था उन मुसलमानों ने मोदी के लिए एक सीट भी नहीं दी।
अरबों रूपए के पैकेजों से कश्मीर का भला चाहने वाली केन्द्र सरकार सिवाए हिंदुस्तानियों की गाढ़ी कमाई से सिर्फ दूध पिलाते दिखाई दे रहे हैं। और कश्मीरी जब भी उगलते हैं तो जहर ही उगलते हैं, हो सकता है यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति का कौन सा रूप है पर बरसों से शरणार्थी केम्पों में रह रहे कश्मीरी पंडितों के दिल से पूछिए कि उन्हें मोदी के रूप में एक आशा की किरण दिखाई दी थी वह भी धूमिल होती दिख रही हैं, देखना अब यह है कि हिन्दुत्व की पैरोकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य संगठन इसे किस रूप में देखते हैं पर इतना साफ है कि मुख्यमंत्री की गद़दी संभालते ही मुफ्ती ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी का यह वर्ग विशेष पर यह प्रेम देश के लिए कहीं घातक सिद्ध न हो1                             प्रदीप राजपूत