Monday, September 22

सुख हो या दुख, भगवान का स्मरण सदैव करना चाहिए

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उज्जैन। हम भगवान से सदैव सुख की कामना करते हैं, लेकिन कोई दुख की कामना नहीं करता है। जीवन में जब भी दुख आता है तो सबसे पहले भगवान याद आते हैं। जब दुख के दिन दूर हो जाते हैं तो अधिकांश लोग भगवान को भूल जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। सुख हो या दुख, भगवान का स्मरण सदैव बना रहना चाहिए। यदि हम सुख में भी भगवान को याद करते रहेंगे तो दुख के दिनों से जल्दी मुक्ति पाई जा सकती है। जहां जानिए महाभारत का एक ऐसा प्रसंग, जिसमें कुंती ने श्रीकृष्ण से दुख उपहार में मांग लिया।

प्रसंग छोटा सा है, लेकिन इसके पीछे संदेश बहुत गहरा है। अक्सर हम भगवान को सिर्फ दु:ख और परेशानी में ही याद करते हैं। जैसे ही परिस्थितियां हमारे अनुकूल होती हैं, हम भगवान को भूला देते हैं। जीवन में अगर प्रेम का संचार करना है तो उसमें प्रार्थना की उपस्थिति अनिवार्य है। प्रेम में प्रार्थना का भाव शामिल हो जाए तो वह प्रेम अखंड और अजर हो जाता है।

हम प्रेम के किसी भी रिश्ते में बंधे हों, वहां परमात्मा की प्रार्थना के बिना भावनाओं में प्रभाव उत्पन्न करना संभव नहीं है। इसलिए परमात्मा की प्रार्थना और अपने भीतरी प्रेम को एक कीजिए। जब दोनों एक हो जाएंगे तो हर रिश्ते में प्रेम की मधुर महक को आप महसूस कर सकेंगे।betwaanchal.com