नगर पालिका की नवीन परिषद द्वारा शहर के विकास के लिए गई कार्य स्वीकृत किए गए जिसमें नेहरू चौक की रोटरी को कम करना भी शामिल है। परिषद का यह निर्णय बेतुका व अव्यवहारिक दिखाई दे रहा है। क्योंकि नेहरू चौक की रोटरी भले ही बड़ी व उंची हो पर उससे कोई दुर्घटना घटित नहीं हुई है। यदि जगह की परेशानी को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है तो वह भी तुगलकी निर्णय माना जाएगा क्योंकि नेहरू चौक के आसपास व्यापारियों द्वारा 25 से 30 फिट का अतिक्रमण किया हुआ है यदि नगर पालिका उस अतिक्रमण को हटाकर शहर को सुंदर व व्यवस्थित कर सकती है पर उसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी। रोटरी को कम करने का मतलब है अतिक्रमण को बढ़ावा देना।
आपको बतादें यह रोटरी उस वक्त बनाई गई थी जब व्यापारियों की कृपा से सड़क सुकडऩे लगी थी, उस समय तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष की दूरदृष्टि का परिणाम है कि नेहरू चौक पर इतना बड़ा चौराहा दिखाई दे रहा है नहीं तो शहर के अन्य चौराहों की तरह ही नेहरू चौक पर अतिक्रमणकारी दिखाई देते। पर अब रोटरी को कम करने का निर्णय परिषद द्वारा लिया जा चुका है उससे ऐसा लगता है कि यह निर्णय नगर हित में न होकर अतिक्रमणकारियों के हित में दिखाई दे रहा है। दुर्भाग्य इस बात का है कि नगर के चौबीस पार्षदों में से एक भी पार्षद ने इस बेतुके निर्णय का विरोध नहीं किया नगर पालिका की नई परिषद पहले शहर के विकास में अपनी ठोस भूमिका अदा करे इसके बाद बनी हुई चीजों को मिटाने का प्रयास करे तो ज्यादा उचित होगा। जो पैसा इस रोटरी को मिटाने में खर्च किया जा रहा है उस पैसे से पहले कोई चौराहा, या नगर के सौन्दर्यकरण को करके दिखाते, खैर अब सत्ता कैसे लोगों के हाथ में है यह पहली बैठक में समझ में आ गया, नगर का क्या होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
