
एक ओर जहां देश में कई राज्य अपने यहाँ शराबबंदी करके अपराध रोकने और जनता को नशा मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं | वही मध्यप्रदेश सरकार अपने प्रदेश का खजाना भरने के लालच में लोगो को नशेड़ी बनाने पर आमादा हैं कहते हैं जैसा राजा बैसी प्रजा यदि राज्य की भलाई और खुशहाली का संकल्प मन में हो तो कठोर निर्णय लेकर प्रदेशहित में काम किया जा सकता हैं उससे भले ही शासन को क्षति ही क्यो न हो |
पर मध्यप्रदेश सरकार की ऐसी कोई मंशा दिखाई नहीं दे रही हैं वह तो अधिक से अधिक शराब की दुकाने और ऑनलाइन बिक्री का ओप्सन उपलब्ध करा रही हैं निश्चित तौर पर ऐसा करने से सरकार का खजाना तो बढ़ेगा पर अपराध को भी वल मिलने की संभावना हैं|
देखा गया हैं की जितने भी अपराध होते हैं उस्समे कही न कही नशा प्रमुखता से मिलता हैं शराब के नशे में लोग पागल हो जाते हैं | ओर वह अपराध करने से गुरेज नहीं करते हैं इस नई शराब निति का असर प्रदेश पर कितना पड़ेगा यह तो नहीं कहा जा सकता पर आशंका आशंका जरूर व्यक्त की जा रही हैं की की इस तरह की नीतिया अपराधियों के लिए लाभदायी होती हैं |
यदि हम सिर्फ राजस्व प्राप्ति की ही बात करे तो जिन प्रदेशो में शराब बंदी हैं वहा भी किसी न किसी रूप में राजस्व की हानि की पूर्ति भी की जा रही होगी पर ऐसा मध्यप्रदेश क्यो संभव नहीं हो पा रहा हैं | इस बात को भी स्वीकार किया जा सकता हैं की इस व्यवसाय में रोजगार से लगे हैं पर क्या इस तरह के रोजगार से प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाया जा सकता हैं | या सिर्फ प्रदेश का खजाना भरने ले लिए शराब जरुरी हैं |