MP के भोपाल में 84 मौतें, 1984 जैसा डर:सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4 मौतें; जबकि 84 अंतिम संस्कार हुए, लगता है समय जैसे ठहर गया और सिर्फ मौत भाग रही है
आज फिर शवों की गिनती को मजबूर हैं शहर के श्मशान सारे। भोपाल गैस त्रासदी का वो साल 1984 था। लापरवाही के लहू से लथपथ भोपाल। कोरोना त्रासदी का यह साल 2021 है...एक दिन में 84 मौतें। इस कोरोना विस्फोट से कांपते चेहरों के कराहने-चीखने का दर्द और भय भी 84 जैसा ही है। लगता है समय जैसे ठहर गया है और सिर्फ मौत भाग रही है
भोपाल में कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार को भदभदा, सुभाषनगर विश्राम घाट और झदा कब्रिस्तान पर 84 शवों का कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार हुआ। भदभदा पर हालात ऐसे हैं कि जगह कम पड़ गई तो 30 नए चिता स्थल बनाना शुरू कर दिए हैं, जबकि 30 चार दिन पहले ही बने हैं।
कोरोना का कहर ऐसा कि पिछले पांच दिनों से रोज 50 से ज्यादा शव श्मशानों-कब्रिस्तानों में पहुंच रहे हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ों में इन 5 दिनों में सिर्फ 10 मौतें दर्ज हैं। आज जब शहर में 84 अंतिम सं...










