Thursday, September 25

खतरे में न्यायपालिका की स्वतंत्रता – चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

नईदिल्ली | सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने खुद पर लगे यौन शोषण के आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है साथ ही कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की एक पूर्व असिस्टेंट द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाए जाने की ऑनलाइन मीडिया की खबरों के मामले में सुनवाई हुई। बता दे की सीजेआई गोगोई पर 35 वर्षीय महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। यह महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट पदस्थ थी। महिला का दावा है कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया। इस महिला ने अपने एफिडेविट की कॉपी 22 जजों को भेजी। इसी आधार पर चार वेब पोर्टल्स ने चीफ जस्टिस के बारे में खबर प्रकाशित की। इसके बाद चीफ जस्टिस ने शनिवार होने के बावजूद विशेष सुनवाई की और कहा, ‘‘मैंने आज कोर्ट में बैठने का यह असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें हद से ज्यादा बढ़ गई हैं।’’ सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘‘हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर चिंतित हैं। लोगों को न्यायिक व्यवस्था में भरोसा है। इस तरह के आरोपों से लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा उठ जाएगा।’’