रतलाम | मध्यप्रदेश के मुखिया कमलनाथ 2 मार्च को स्पष्ट कर चुके हैं कि निजी स्कूल फीस के लिए विद्यार्थियों पर दबाव नहीं बनाएं। आदेश का पालन नहीं करने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने के साथ संचालक को जेल हो सकती है। बावजूद गुरुवार को दो बच्चों को परीक्षा में नहीं बैठाने की शिकायत जिला पंचायत सीईओ के पास पहुंची। शिकायत मिलने पर डीईओ ने स्कूल पहुंचकर वच्चो को परीक्षा दिलवाई परीक्षा में बैठने को लेकर स्कूल संचालक और बच्चो के परिवार के बीच जम कर बहस हुई दरअसल अलकापुरी के निजी स्कूल में फीस नहीं भरने पर 8वीं-9वीं के दो विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया स्कूल संचालिका ने परिजन से लिखवाकर लिया कि 19 मार्च तक फीस भर देंगे। इसके बाद विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने दिया। स्कूल प्रबंधन का कहना है बच्चों से फीस मांगी थी परीक्षा देने से नहीं रोका गया।बता दे की परीक्षा के समय फीस के लिए परेशान करने को बाल संरक्षण आयोग ने अपराध माना है। साथ ही फीस के लिए परेशान करने वाले स्कूल संचालकों को जेल में डालने की बात कही है। इसे लेकर मप्र प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था ने नाराजी जताई है। श्रीमाली वास स्थित नवज्योति स्कूल में मप्र प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ की बैठक हुई।बैठक में दीपेश ओझा ने कहा की आयोग बोल रहा है कि स्कूल संचालक केवल अभिभावकों से ही फीस मांगे। स्कूल संचालक अभिभावकों से ही फीस मांगते हैं। लेकिन वे बोलते हैं जमा करा देंगे लेकिन नहीं कराते हैं। कलेक्टर के पास पहुंच जाते हैं, सीएम हेल्प लाइन में शिकायत कर बोलते हैं हमें परेशान किया जा रहा है। हम स्कूल चलाते हैं इस समस्या से हम गुजरते हैं तो हमें ज्यादा मालूम है। स्कूल संचालकों को जेल में डालने के निर्देश आयोग ने शिक्षा अधिकारियों को दिए हैं। क्या फीस मांगना गुनाह है। यह किस एक्ट में गुनाह है जो हमें जेल में डाला जाएगा। हम क्या चरस और गांजा बेच रहे हैं जो हमें जेल में डालने की बात कही जा रही है।