
नईदिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक की याचिका को ख़ारिज कर दिया हैं तीन तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है, यह विधेयक फिलहाल राज्यसभा में लंबित है. मौजूदा लोकसभा के भंग होने के साथ ही तीन जून को यह विधेयक भी समाप्त हो जाएगा. 1 वर्ष से भी कम समय में इस अध्यादेश को तीसरी बार फिर से जारी किया गया है. तीन तलाक की प्रथा को मुस्लिम पुरुषों के लिए दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को अब तक तीन बार जारी किया जा चुका है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) दूसरा अध्यादेश फरवरी 2019 में हस्ताक्षर किए थे. तीन तलाक अध्यादेश का खास महत्व है। दरअसल महिलाओं में बराबरी के लिहाज से इसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से भी इसे अहम माना जा रहा है। पहली बार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाया गया था,लेकिन विपक्ष ने राज्य सभा में इससे संबंधित विधेयक का रास्ता रोक दिया था। बाद में सरकार कुछ बदलाव के साथ फिर से अध्यादेश लेकर आइ। विधेयक में संशोधन भी हुए लेकिन राज्यसभा मे अड़चन के कारण फिर से विधेयक रद हो गया और उसके साथ ही अध्यादेश भी।