Tuesday, September 23

मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राजधानी से बहार होगी कैबनेट की बैठक

भोपाल | मध्यप्रदेश के गठन के बाद पहली बार मध्य्प्रदेश के इतिहास में कैबिनेट की बैठक राज्य के राजधानी के बहार हो रही हैं. कमलनाथ सरकार के द्वारा कैबिनेट की बैठक जबलपुर में हो रही हैं, इस बैठक में वित्तीय वर्ष 2019-20 के शुरुआती चार महीनों का खर्च चलाने के लिए 18 फरवरी को विधानसभा में पेश होने वाले लेखानुदान को मंजूरी दी जा सकती हैं वही इसके अलावा कई अन्य घोषणाओ का ऐलान भी कर सकते हैं\

मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार को जबलपुर में बिजली कंपनियों के शक्ति भवन स्थित मुख्यालय में अपनी कैबिनेट की बैठक लेंगे। सीएम कमलनाथ अपने मंत्रियों के साथ शक्ति भवन में कैबिनेट की बैठक लेंगे। कैबिनेट की ये बैठक करीब एक घंटे चलेगी, जिसके बाद सीएम कमलनाथ स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे और शाम चार बजे पुलवामा हमले मे शहीद हुए जबलपुर के जवान को श्रृद्धांजली देने जिले के खुड़ावल गांव रवाना हो जाएंगे। इस कैविनेट की बैठक में कई अहम निर्णय लिए जायेंगे जिनमे ुख्य रुप से पायली ग्रामीण जल प्रदाय योजना : 645.46 करोड़ रुपए, विशेष पिछड़ी जनजाति छात्रावास भवन : 19.15 करोड़ रुपए, सरस्वती घाट, लम्हेटाघाट में झूला पुल : 76 करोड़ रुपए, उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में 200 सीटर छात्रावास भवन : 7.71 करोड़ रुपए, सम्भागीय क्रीड़ा परिसर तिलहरी में साइक्लिंग वेलोड्रम : 7.54 करोड़ रुपए, नवीन शासकीय महाविद्यालय बरगी का भवन : 6.50 करोड़ रुपए, मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी विभाग की स्थापना : 4.63 करोड़ रुपए, 40 संयुक्त बालक-बालिका छात्रावास भवन का निर्माण : 4.27 करोड़ रुपए, उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में 100 सीटर बालिका छात्रावास : 3.86 करोड़ रुपए, उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में 100 सीटर बालक छात्रावास : 3.85 करोड़ रुपए, दिव्यांग बालक-बालिकाओं के लिए 50-50 सीटर छात्रावास : 3.46 करोड़ रुपए, नि:शक्तजन पुनर्वास वन स्टॉप सेंटर का निर्माण : 3.33 करोड़ रुपए, जिला नि:शक्तजन पुनर्वास का निर्माण : 2.92 करोड़ रुपए, इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रावास और बाउंड्रीवॉल : 2.62 करोड़ रुपए की योजनाओ का ऐलान हो सकता हैं, वही प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पुलवामा में हुये आतंवादी हमले के कारण इस बैठक को सादगी से करने का निर्णय लिया हैं कैबिनेट बैठक में कलेक्टर के अधिकार बढ़ाने का भी एक प्रस्ताव आएगा। मोबाइल टॉवर लगाने की अनुमति टेलीकॉम कंपनियों को अब राज्य स्तर से लेनी होती थी, लेकिन अब जिलों में कलेक्टर तय करेंगे कि कहां-कितने मोबाइल टॉवर लगेंगे और इसकी अनुमति भी कलेक्टर ही देंगे।