पिछले कई दिनों से देश में राफेल को लेकर बहस छिड़ी हुई हैं विपक्ष मोदी सरकार पर हर तरफ से राफेल को लेकर घेरने की कोशिश करता नज़र आता हैं वही बीजेपी भी पूरी ताकत के साथ राफेल डील के पक्ष में तर्क दे रही है. कांग्रेस के मुताबिक मनमोहन सिंह सरकार के वक्त जो विमानों की कीमत तय की गई थी, उससे तीन गुणा दामों में विमान खरीदे. कांग्रेस का ये आरोप भी है कि सरकार की ओर से उस रिलायंस डिफेंस को 3.9 अरब यूरो के ऑफसेट ‘तोहफे’ में दिए गए, जिस रिलायंस डिफेंस को लड़ाकू जेट या रक्षा उपकरण बनाने का कोई अनुभव नहीं है. जिसके कारण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भारी नुकसान हुआ हैं एक RTI के तहत केंद्रीय सरकार के सार्वजनिक उपक्रम (PSU) यानि HAL को कई याचिकाएं भेजीं.RTI मे HAL से पूछा राफेल लड़ाकू जेट विमानों को लेकर HAL की दसॉ एविएशन के साथ किस तरह की सहमति थी? क्या HAL के चेयरमैन ने मार्च 2015 में दसॉ फैसिल्टी का दौरा किया था? उस RTI के जबाब में HAL ने कहा की ‘राफेल की आपूर्ति के लिए HAL पार्टी नहीं है.’ दूसरे सवाल के जवाब में HALने कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए कहा- ‘HAL के चेयरमैन ने मार्च 2015 में दसॉ फैसिल्टी का दौरा नहीं किया था.’