भोपाल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल की माली हालत बिगड़ गई है जांच व इलाज के लिए नई मशीनें नहीं आ पा रही हैं। जिसके कारण मरीजो को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा हैं एम्स को वित्तीय वर्ष 2018-19 में सिर्फ 80 करोड़ रुपए का बजट ही मिला है जबकि उसको सालभर के खर्च के लिए 650 करोड़ रुपए की जरूरत होती हैं एम्स भोपाल के लिए केन्द्र से तीन हेड में बजट मिलता है। पहला सैलरी हेड, इसमें सभी तरह के अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन भत्ते की राशि शामिल है। दूसरा जनरल हेड, इसमें पहले से चल रहे प्रोजेक्ट्स के लिए बजट मिलता है। तीसरा कैपिटल हेड, इसमें नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने, नए उपकरणों की खरीदी के लिए राशि मिलती है। कैपिटल हेड में राशि नहीं मिल रही है। जनरल हेड के लिए भी राशि कुछ कम पड़ रही है। अस्पताल व कॉलेज की अलग-अलग आमदनी से इसकी भरपाई की जा रही है