Sunday, October 19

उज्जैन के तपस्वी व फेमस संत मौनी बाबा का 108 साल की उम्र में शनिवार सुबह पुणे में इलाज के दौरान निधन हो गया।

  • पुणे. उज्जैन के तपस्वी व फेमस संत मौनी बाबा का 108 साल की उम्र में शनिवार सुबह पुणे में इलाज के दौरान निधन हो गया। मौनी बाबा लंबे समय से बीमार चल रहे थे और पुणे में बीते एक माह से उनका इलाज चल रहा था। अपनी तंत्र मंत्र की सिद्धियों और एकांतवास के लिए मौनी बाबा जीवनभर चर्चा में रहे। बता दें कि अमर सिंह, दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह, उमा भारती सहित कई नामी हस्तियां मौनी बाबा के अनुयायी हैं। उन्होंने लगभग 70 साल पहले मौनी बाबा ने उज्जैन में गंगाघाट के किनारे अपना डेरा जमाया था।
  • रविवार को होगा अंतिम संस्कार…

    – गौरतलब है कि उज्जैन में ही मंगलनाथ रोड पर मौनी बाबा का आश्रम है, जहां से बाबा को अंतिम विदाई दी जाएगी।

    साल में सिर्फ दो बार देते थे दर्शन

    108 वर्षीय मौनीबाबा के जन्म स्थान, शिक्षा और नाम को लेकर कई किवदंती है, मगर प्रमाणित रूप से बताया गया है कि वे वर्ष 1962 में उज्जैन आए थे। उन्होंने शुरुवात के पांच साल नरसिंह घाट पर तपस्या की।
    – मौनी बाबा ने उज्जैन में सात दशक पहले गंगाघाट के किनारे एक पेड़ के नीचे अपना आश्रम बनाया था।
    – बाबा ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करते थे। वे भक्तों को वर्ष में सिर्फ दो बार गुरु पूर्णिमा तथा 14 दिसंबर को उनके जन्म दिन पर ही आश्रम में दर्शन देते थे। बाबा अधिकांश समय एकांत में बिताते थे।

    हमेशा मौन रहते थे मौनी बाबा
    – उनके भक्तों का मानना था कि मौनी बाबा के दर्शन करने से तपस्या, साधना, भक्ति के एकसाथ दर्शन हो जाते थे। वे हमेशा मौन रहते तथा शिष्यों का मार्गदर्शन करते थे।

    सांस की बीमारी से पीड़ित से मौनी बाबा
    – पुणे के एक प्राइवेट अस्पताल में मौनीबाबा का एक महीने से इलाज चल रहा था। उन्हें सांस की समस्या थी। बाद में उन्हें निमोनिया हो गया था। चार दिन पहले वे ठीक भी हो गए थे। मगर शुक्रवार दोपहर तबियत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और शनिवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

    जब बाबा ने जोगी को स्लेट पर लिखकर बताया कि सब अच्छा होगा

    बात उन दिनों की है जब छग के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपना राजनैतिक कॅरियर नया नया प्रारंभ किया था। उस समय एक बार जब वह मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अजुर्न सिंह के साथ बाबा के आश्रम गए थे तो उन्होंने बाबा से पूछा था कि क्या वे कभी राज्यसभा के सदस्य बन पाएंगे। इस पर बाबा ने जोगी को स्लेट पर लिखकर बताया था कि सब अच्छा होगा। इस घटना के कुछ दिनों बाद से ही जोगी का राजनैतिक कॅरियर तेजी से आगे बढ़ने लगा था। तब से ही जोगी मौनी बाबा को अपना गुरु मानते है।

    तंत्र मंत्र के ज्ञाता थे बाबा

    मौनी बाबा तंत्र-मंत्र के ज्ञाता थे। देश की कई बड़ी हस्तियां बाबा से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उपाय करवाती थी। अपनी तंत्र मंत्र की सिद्धियों और एकांतवास के लिए बाबा सदैव चर्चाओं में रहे है। जानकारों के अनुसार मौनी बाबा 1962 में उज्जैन आए थे। उज्जैन आने के बाद बाबा ने प्रारंभ के कुछ समय नरसिंह घाट पर तपस्या की थी। लगभग 5 सालों तक नरसिंह घाट पर तपस्या करने के बाद बाबा ने गंगाघाट को अपनी तपस्थली बना लिया था।