भोपाल। होली के आगमन के साथ ही मौसम में छाई रहने वाली गुलाबी ठंड अब देर रात की ही चीज बची है। इस बार तो उत्तरांचल में हुई बर्फबारी का भी मप्र में असर कम दिखाई दिया है। पिछले दो दिनों से मौसम में तेज धूप और गर्मी का अहसास तेजी से किया जाने लगा है। यूं तो कहा जाता है कि होलिका के जलने के बाद आग की वह तपन सूरज ले लेता है। जिससे गर्मी का आगमन होने लगा है। लेकिन ग्लोबल बार्मिंग का असर अब मौसम पर दिखाई देने लगा है। खेतों में खउ़ी फसल अब हरियाली छोड़ सूखकर पीली हो चुकी है। किसानों को खेतों में तेजी से कटाई और थ्रेसिंग का काम करना पड़ रहा है। हालाकि इस बार होली आई लेकिन पलाव में मखमली फूलों की बहार नहीं दिखाई दे रही है। ऐसे में बदलते मौसम के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। अंग्रेजी माह के लिहाज से एक मार्च को दिन में जैसी ठंडक हवाओं में होना थी, वह नदारद रही। सूरज पूरी तरह तपना शुरू हो चुका है। होली के बाद के दिनों में गर्मी का अहसास होता था। लेकिन इस बार कु छ दिन पहले से ही गर्मी का आगमन होने लगा है। ध्यान देन ेवाली बात है कि अब मप्र में जैसी प्राकृतिक रूप से ठंड पडऩा चाहिए वह बंद हो चुकी है। दिसम्बर और जनवरी की भीषण ठंड भी अब कश्मीर सहित उत्तर भारत में बर्फीली हवाओं पर निर्भर हो चुकी है। ऐसे में मौसम बदलाव का असर अब दिखाई देने लगता है। जैसे ही उत्तर भारत में मौसम बदलता है हमारे यहां ठंड का अहसास होने लगता है, जैसे ही वहां का मौसम बदलता है, हमारे यहां बदलना शुरू हो जाता है। प्रकृति में हो रहे ऐसे परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देने लगे है। हम तो यहीं कहेंगे कि मप्र वासी तो अब उधारी के मौसम से गुजर कर रहे है।