Sunday, October 19

होली है भाई होली…….

भोपाल। आप जब खबर पढ़ रहे होंगे होली का उत्साह आपके जेहन में कोंध रहा होगा। रात को होलिका दहन का पारंपरिक कार्यक्रम होने के बाद शुक्रवार को रंगों का उत्साह हर गली हर चेहरे पर दिखाई देगा। जो होली खेलेंगे वे तो पूरे उत्साह में होंगे ही साथ ही जो रंगों से दूरी बनाकर होली मनाना चाहेंगे। वे भी इष्ट मित्रों के साथ पिकनिक या परिवार के साथ रसीले पकवानों के स्वाद से अपनी जिव्हा को उत्साहित करेंगे। सदभाव, मित्रता एवं प्रेम का त्रिकोण बनाने बनाने वाला यह त्योहार दुनिया में अनोखा है। यह त्योहार पूरी तरह सामाजिक परिदृश्य में कटुता को दूर भगाने वाला, विकृतियों से परे रहकर सामाजिक ताने-बाने को सुखमय और प्रसन्नता देने वाला है। यद्यपि समाज में समय के साथ विकृतियां घुलती जा रही है। जिसके कारण उसका असर इस त्योहार पर भी देखा जा रहा है। जहां सदभाव और कटुता को दूर भगाने वाले इस त्योहार में दंगे जैसी स्थिति बन जाती है। व्यक्तिगत स्तर पर नशेले पदार्थो में उत्साह खोजने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। रंगों के नाम पर एक दूसरे को खुशी नहीं दुखी देखने वाली आंखें खुलने लगी है। बेतवांचल परिवार की ओर से सभी को होली की मंगलमय शुभकामनाएं देने के साथ हम चाहते है कि देश में अमन चैन और शांति का वातावरण बनाने में इस बार की होली सार्थक पहल बने। पर्यावरण की रक्षा होगी तो हम रक्षित हो सकेंगे। होलिका दहन करने में पर्यावरण का ख्याल हो। उपले या कंडों को जलाकर होलिका दहन करे ताकि लकडिय़ों को बचाया जा सके। ताकि वनों की कुछ हद तक रक्षा की जा सके। रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से बचे।  साथ ही रंग खुशी से लगाए, खुशी के साथ लगवाए। पानी की बर्बादी न हो तो अच्छा है।