Sunday, October 19

खबर प्रेरक है, मीडिया ने नहीं दी तवज्जों ११७ दिन में सेना ने तैयार किए तीन ब्रिज

भोपाल। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में गत वर्ष यानि कुछ माह पहले ही फुटब्रिज पर बड़ा हादसा हो गया। जिसके कारण भगदड़ और मौत की खबर पर देश के मीडिया घरानों ने कोहराम मचाते हुए काफी तवज्जों दिया था। बाद में उस ब्रिज सहित तीन ब्रिज बनाने के लिए सेना की निर्माण एजेंसी की मदद ली गई थी। खास बात यह है कि सेना ने इस जनोपयोगी कार्य को केवल ११७ दिन में पूरा कर एक नई नजीर पेश कर दी है। बात एक ब्रिज की नहीं बल्कि ऐसे तीन ब्रिजों का निर्माण हमारी सेना द्वारा किया गया है। इससे एक बात यह साबित हो रही है कि सेना से अलग सारी निर्माण एजेंसियां चाहे केन्द्रीय हो या राज्य और ग्राम पंचायत स्तर तक की सभी में काम करने का न तो जज्बा है और न ही वे इस कार्य को देश निर्माण का कार्य मानते है। क्योंकि प्रदेश में बन रहे ओवर ब्रिज निर्माण की गतियों पर ध्यान दिया जाए तो प्रत्येक ओवर या फुट ब्रिज को बनाने में वर्षो का समय लग जाता है। इस दौरान न जाने कहां-कहां घपले आते है। जितने निरीक्षण उतना भ्रष्टाचार बढ़ जाता है। लागत मूल्य भी दुगने हो जाते है। ऐसे सवाल उठ रहा है कि इन निर्माण एजेंसियों का क्या किया जाए। इसमें राजनीतिक दबाव, बजट का सही निर्धारण न होने जैसी समस्याएं आती है। फिर देशी इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकले होनहार सरकारी इंजीनियर या प्रायवेट एजेंसी के वे इंजीनियर जो केवल अपने मालिक के लिए काम कर रहे है, वे काम की गुणवत्ता, महंगाई और समय सीमा में काम न करने की बीमारियों से ग्रसित है। यहां उल्लेखनीय है कि इस खबर को देश की मीडिया में या तो जगह नहीं मिली और मिली भी तो केवल सूचनात्मक एक या दो कालम में या टीवी की नीचे चलने वाली पट्टी के रूप में। क्या केवल भारत माता का जयकारा लगाने से बेहतर नहीं कि हम देश की गौरवपूर्ण सेना को नमन करें।