गंजबासौदा। यहां हम जिस एक सड़क का जिक्र करने वाले है, वह दो शुभ और महान शब्दों का संगम भर नहीं है। उसका संस्कृति और महानता से लेना-देना है। शहर की महत्वपूर्ण सड़क और नये बस स्टेण्ड को सिरोंज मार्ग से जोडऩे वाली महाप्रताप चौक से लेकर तिरंगा तिराहे तक की सड़क अपनी बदहाली से जैसे महान शब्दों की प्रेमी नगर की जनता को जैसे मुंह चिढ़ा रही है। पिछले कई सालों से उपेक्षा का दंश झेल रही है बरेठ रोड वायपास मध्ययुग के महान नायक महाप्रताप और भारतीय ध्वज को तीन रंगों में पिरोने का अधिकार तिरंगा तिराहा तक की सड़क बदहाली के कारण आनंद का विषय नहीं बल्कि दुख मनाने का सबव बनी हुई है। इस सड़क पर चलने से होने वाली परेशानियों को आप एक बार अपने दुपहिया वाहन या पैदल तय कर खुद अनुभव कर सकते है। लेकिन महान शब्दों से जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को जैसे परहेज है। इसी कारण महाराणा प्रताप चौक से तिरंगा तिराहे तक की सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सबके अपने रोने है- गंजबासौदा का दुर्भाग्य कहे कि यहां के जनप्रतिनिधि जब सत्ता दल से होते है तो बजट का रोना रोते है। जब विपक्ष से होते है तो सरकार की मदद न मिलने का रोना रोते है। वहीं सत्ता पक्ष के लोग अपना विधायक न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते है। कमोवेश पिछले मप्र की शिवराज सरकार के कार्यकाल का तो यही रोना है। कारण यहां से कांग्रेस मनोनीत विधायक निशंक जैन जीतकर विधानसभा मे ंपहुंच गए है। शिवराज सरकार और उसके नुमाइंदे गंजबासौदा की जनता को धमकी नुमा शब्दों में जताते रहते है कि भाजपा का ेनहीं जिताया था, जिसका खामियाजा तुम उठाओ। जैसे जनता की समस्याओं और विकास का नाता केवल जीत हार से तय होने लगा है। कांग्रेसी विधायक विपक्ष में होने की बात कहकर विकास से मुंह चुरा लेते है।
यद्यपि भाजपा का गढ़ माना जाने वाला गंजबासौदा की जनता ने भाजपा को नगरपालिका, जनपद पंचायत और मंडी अध्यक्ष जैसे तीन बड़े पद दिए है। लेकिन उनकी भी बोलती विकास के नाम पर बंद रहती है। फिर प्रशासन जिसे केवल फाइलों को कुशलता पूर्वक निपटाने में आनंद आता है। उससे अपेक्षा कैसे की जा सकती है।
कभी दुपहिया वाहन पर निकले सर, बरेठ रोड से तिरंगा चौक तक पहुंचने वाला मार्ग पर सड़क खोजना कठिन काम हो सकता है। बरेठ रोड बायपास से लेकर नसीदपुर तक तो जैसे सड़क गायब ही हो चुकी है। जहां दुपहिया वाहनों को फिसलते देखा जा सकता है। इसके अलावा हमारी तो सलाह है कि यदि आप किसी सांस संबंधि रोग से पीडि़त है तो इस मार्ग से कभी न निकले। वर्ना आपका दवाओं से दबा रोग धूल के गुबारों से कभी भी उभर सकता है। हमारा ही नही जनता का कहना है कि हमारे प्रिय जनप्रतिनिधि महोदय, प्रशसनिक अफसरों अपने चार पहिया वाहनों से उतरकर दुपहिया वाहन या पैदल मार्च इसी मार्ग पर आयोजित करें। लेकिन ध्यान रखे तब सुरक्षा के लिए पुलिस और अन्य बंदोवस्त न करे तब शायद आपको अनुभव होगा आखिर कैसे लोग इस मार्ग पर सफर कर रहे है।