सोमवार को शहर के प्रमुख घाटों पर लोगों की खासी भीड़ रही, यहां लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए पहुंचे थे। जानकारों की माने तो पितृपक्ष में स्वर्ग लोक का द्वार खुल जाता है और पितरों का पृथ्वी पर आगमन होता है। इसीलिए उनके वंशज अपने-अपने पुरखों का श्राद्ध कर्मकाण्ड करते हैं। पूरे पितृपक्ष में लोग ज्ञात-अज्ञात आत्माओं को जल और तिल से तर्पण कर पितरों से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं।
सोमवार को शहर की गिन्नौरी, शीतल दास की बगिया, काली मंदिर घाट, कंठाली माता मंदिर घाट, खटलापुरा घाट और गायत्री शक्ति पीठ पर पितरों को जल अर्पित करने व तिल आदि से तर्पण का सिलसिला शुरू हुआ है। जो आने वाले 12 अक्टूबर तक चलेगा।
16 दिवसीय यह पर्व सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के साथ संपन्न होगा। पं. विष्णु राजौरिया ने बताया कि श्राद्ध का कार्य मध्याह्न समय करने का नियम है, जो तिथि उस वक्त होती है, उसी का श्राद्ध होता है। पूर्णिमा का श्राद्ध अनंत चतुर्दशी के दिन रविवार को दोपहर में पूर्णिमा के प्रवेश के समय यानी 11.47 बजे शुरू हुआ। इसके साथ ही सोमवार को प्रतिपदा का श्राद्ध सुबह 8.21 बजे शुरू तिथि के साथ शुरू हुआ।
यह रहेगा श्राद्ध पक्ष : प्रतिपदा – 28 सितंबर, द्वितीया 29 सितंबर, तृतीया – 30 सितंबर, चतुर्थी- 1 अक्टूबर। पंचमी- 2 अक्टूबर, षष्ठी- 3 अक्टूबर, सप्तमी – 4 अक्टूबर, अष्टमी- 5 अक्टूबर, नवमी (सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध) – 6 अक्टूबर, दशमी- 7 अक्टूबर, एकादशी – 8 अक्टूबर, द्वादशी (सन्यासियों का)- 9 अक्टूबर, त्रयोदशी- 10 अक्टूबर, चतुर्दशी- 11 अक्टूबर और अमावस्या का श्राद्ध- 12 अक्टूबर को होगी।